उज्जैन भैरवगढ़ सेंट्रल जेल में बंद कैदी अब अपराध की दुनिया से हटकर अपने पुनर्वास की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। यहां हत्या, रेप और अन्य अपराधों की सजा काट रहे कैदी रोजाना LED बल्ब और सजावटी सीरीज बना रहे हैं। खास बात यह है कि मध्य प्रदेश की कई जेलें (
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रोजाना 200-300 बल्ब का उत्पादन
आईटीआई उज्जैन की ओर से अलग-अलग ट्रेड में एडमिशन लेकर कैदी जेल में ही इलेक्ट्रिक मोटर वाइंडिंग, पंखे सहित अन्य इलेक्ट्रिकल कार्य का प्रशिक्षण ले रहे हैं। आईटीआई से आए इंस्ट्रक्टर रोजाना सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक कैदियों को ट्रेनिंग देते हैं। इलेक्ट्रिकल का काम सीख चुके करीब 50 कैदी अब रोजाना 200 से 300 LED बल्ब तैयार कर रहे हैं।
दिल्ली और नासिक से आता है सामान
इंस्ट्रक्टर राम कुमार उइके ने बताया कि कैदियों को पिछले पांच माह से बल्ब बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बल्ब बनाने के लिए आवश्यक कच्चा माल दिल्ली और नासिक से मंगवाया जाता है। दिवाली और अन्य त्योहारों के लिए सजावटी सीरीज बनाने का काम भी कैदी कर रहे हैं।
9 और 15 वाट के बल्ब तैयार
डिप्टी जेलर सुरेश गोयल ने बताया कि फिलहाल कैदी 9 और 15 वॉट के LED बल्ब बना रहे हैं। ये बल्ब बाजार की तुलना में काफी कम लागत में तैयार हो जाते हैं। लागत पर 30% प्रॉफिट मार्जिन रखकर इन्हें प्रदेश की अन्य जेलों में सप्लाई किया जा रहा है।
भविष्य में आम जनता तक पहुंचाने की योजना
अभी कैदियों द्वारा बनाए गए बल्ब केवल जेलों में ही उपयोग किए जा रहे हैं, लेकिन जेल प्रशासन की योजना है कि भविष्य में भैरवगढ़ जेल की आउटलेट्स के माध्यम से इन्हें आम जनता तक भी पहुंचाया जाएगा।
पुनर्वास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
यह पहल न केवल कैदियों को रोजगार के अवसर और हुनर सिखा रही है बल्कि उनके पुनर्वास की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम साबित हो रही है। सजा पूरी कर जेल से छूटने वाले कैदी अपना काम शुरू कर सकेंगे। जिससे उन्हें अपने और अपने परिवार के भरण-पोषण में मदद मिलेगी।