प्रशिक्षण में शामिल हुई कृषि सखियां।
डिंडौरी में कृषि विज्ञान केंद्र के स्वामी विवेकानंद सभागार में सोमवार को कृषि सखियों का पांच दिवसीय प्राकृतिक खेती मिशन प्रशिक्षण संपन्न हो गया। प्रशिक्षण के समापन पर सखियों ने अपने सीखे हुए अनुभव साझा किए। अतिथियों द्वारा उन्हें प्रमाणपत्र वितरित कि
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मास्टर ट्रेनर डॉ. गीता सिंह ने कार्यक्रम के दौरान बताया कि प्राकृतिक और जैविक खेती के लिए गौ वंश का होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इसी से खाद तैयार की जाती है। उन्होंने जोर दिया कि प्रत्येक किसान के घर में कम से कम एक गौ वंश होना चाहिए। उन्होंने कृषि सखियों से अपनी भूमिका प्रभावी ढंग से निभाने का आह्वान भी किया।
उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली सखियों को पुरस्कृत किया गया।
साझा किए अनुभव
फड़की गांव की सखी सुनीता धुर्वे ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने जमीन में नमी का स्तर, बीज उपचार, मिलेट्स की जानकारी और जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया सीखी है। उन्होंने कहा कि वे अब इसे अपने गांव में, अपने घर से शुरू करेंगी।
इसी तरह, विक्रमपुर गांव की सखी प्रियंका पारधी ने बताया कि वे पहले खुद प्राकृतिक खेती की शुरुआत करेंगी। इसके बाद, वे किसानों के बीच जाकर रासायनिक खाद के दुष्प्रभावों और प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में समझाएंगी।
इस अवसर पर उपसंचालक कृषि अभिलाषा चौरसिया, कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी पीएल अंबोलकर, आजीविका मिशन जिला प्रबंधक अर्पणा पांडे, आत्मा परियोजना प्रभारी डॉ. नेहा धुरिया, कृषि वैज्ञानिक अवधेश पटेल, रेनू पाठक, श्वेता मसराम सहित कई कृषि सखियां मौजूद रहीं।
सामूहिक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली सखियों को पुरस्कृत भी किया गया। इनमें शशि मरावी ने प्रथम, प्रतिमा पारधी ने द्वितीय और पुष्पा नेटी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।