पांच सालों से नवरात्रि पर पेट पर ज्वारे बोकर कैला देवी की करती है साधना।
विजयपुर क्षेत्र के ग्राम देबरी में ममता बैरागी पिछले पांच वर्षों से नवरात्रि के दौरान अपने पेट पर ज्वारे बोकर कैला देवी की साधना करती हैं। यह अनूठी परंपरा हर साल पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनती है। देबरी ग्राम पंचायत की निवासी ममता, शारदीय और चैत
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ममता बैरागी की करौली वाली कैला देवी के प्रति गहरी श्रद्धा है। उनका मानना है कि यह साधना केवल उनकी व्यक्तिगत मनोकामना पूर्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरे गांव और क्षेत्र की खुशहाली के लिए है। नवरात्रि शुरू होने से दो दिन पहले ही वह अन्न त्याग देती हैं और नौ दिन तक केवल देवी आरती के बाद शाम को एक लौंग प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं। इस अवधि में उनका पूरा समय उपवास, भजन, पूजन और साधना में ही बीतता है।
नवरात्रि पर पेट पर मिट्टी डालकर उसमें ज्वारे बोती है
नवरात्रि के पहले दिन से ही ममता जमीन पर लेटकर अपने पेट पर मिट्टी डालकर उसमें ज्वारे बोती हैं। समय के साथ ये ज्वारे अंकुरित होकर हरे-भरे हो जाते हैं। यह दृश्य भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए आस्था से भरा होता है। आरती के समय ग्रामीण और क्षेत्रीय नागरिक बड़ी संख्या में पहुंचकर ममता के दर्शन करते हैं, जिसे वे देवी मां की शक्ति से जोड़ते हैं।
गांव के बुजुर्गों के अनुसार, ऐसी परंपरा इस क्षेत्र में शायद ही कभी देखी गई हो। ममता बैरागी ने पांच साल पहले यह साधना शुरू की थी और आज यह गांव की एक पहचान बन चुकी है। विजयपुर, जौरा, बेराड़, शिवपुरी सहित आसपास के कस्बों और गांवों से लोग यहां पहुंचते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि ममता की यह साधना केवल धार्मिक विश्वास ही नहीं, बल्कि सामाजिक प्रेरणा भी है। ममता स्वयं कहती हैं कि उनकी यह साधना पूरी तरह कैला देवी मां को समर्पित है।
आरती के समय ग्रामीण करके है दर्शन।