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Ujjain News: शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी पर मंगलवार को सुख-समृद्धि के लिए नगर पूजा हुईं. माता महामाया और देवी महालया को मदिरा चढ़ाने की सदियों पुरानी परंपरा आज भी निभाई जाती है. यह परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चलती आ रही है और इसे महामारी से बचाव और समृद्धि के लिए अहम माना जाता है.
Shardiya navratri 2025: धार्मिक नगरी उज्जैन में शिव के साथ शक्ति भी विराजमान है. यहां की परम्परा बाकि जगहों से अलग देखी जाती है. उज्जैन में राजा विक्रमादित्य के समय शुरू हुई यह परंपरा जिला प्रशासन आज भी उसी तरह निभा रहा है. मान्यता है कि महामाया और देवी महालया मंदिरों में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप से बचा जा सकता है. लगभग 27 किमी लंबी इस महापूजा में 40 मंदिरों में मदिरा चढ़ाई जाती है. मंगलवार सुबह महाअष्टमी पर माता महामाया और देवी महालया को विधि-विधान से पूजा कर मदिरा का भोग लगाया गया.
मान्यता है कि शहर में कोई भी आपदा या बीमारी के संकट को दूर करने के लिए और सुख, समृद्धि के लिए मदिरा का भोग लगाया जाता है. कलेक्टर रोशन सिंह ने यह परंपरा निभाई. इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़े में मदिरा को भरा जाता है जिसमें नीचे छेद होता है. पूरी यात्रा के दौरान इसमें से शराब की धार बहती है जो टूटती नहीं है.
नगर पूजा में लगता है इतना समय
चौबीस खंभा माता मंदिर से नगर पूजा की शुरुआत होगी. इसके बाद शासकीय दल अनेक देवी और भैरव मंदिरों में पूजा करते हुए चलेंगे. नगर पूजा में 12 से 14 घंटे का समय लगेगा. रात करीब नौ बजे गढ़कालिका क्षेत्र स्थित हांड़ी फोड़ भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ नगर पूजा संपन्न होगी.
शराब का प्रसाद और नगर पूजा का महत्व
पूजन खत्म होने के बाद माता मंदिर में चढ़ाई गई शराब को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है. इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रसाद लेने आते हैं. उज्जैन नगर में प्रवेश का प्राचीन द्वार है. नगर रक्षा के लिये यहां चौबीस खंबे लगे हुए थे. इसलिये इसे चौबीस खंभा द्वार कहते हैं. यहां महाअष्टमी पर सरकारी तौर पर पूजा होती है और फिर उसके बाद पैदल नगर पूजा इसलिये की जाती है ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सकें और महामारी से बचाएं.
नगर पूजा में सबसे आगे सिंदूर लगाने वाला एक व्यक्ति चलता है. साथ ही आठ फीट बांस पर लाल ध्वज लिए पीछे दूसरा व्यक्ति होता है. यात्रा के दौरान ढोल बजता है. बलबाकल उठाने और मदिरा की धारा वाला एक व्यक्ति, अन्य सामग्री उठाने वाले 15 कोटवार होते हैं. साथ ही एक दर्जन से अधिक राजस्व अधिकारी और कर्मचारी, कस्बा पटेल, स्काउट गाइड और सैनिक होते हैं. लगभग 50 गणमान्य नागरिक नगर पूजा यात्रा दल में शामिल होते हैं.
Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 7 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें
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