Navratri Special: पांडव काल से जुड़ा इस मंदिर से राजा मांधाता और पृथ्वीराज चौहान का गहरा नाता, जानें इसकी मान्यता

Navratri Special: पांडव काल से जुड़ा इस मंदिर से राजा मांधाता और पृथ्वीराज चौहान का गहरा नाता, जानें इसकी मान्यता


Maa Ashapuri Temple: नवरात्रि की धूम इन दिनों पूरे देश में है. वहीं, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित मां आशापुरी धाम भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. विंध्याचल पर्वत की तलहटी में बसे इस प्राचीन मंदिर का इतिहास पांडव काल से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि यहां पांडव पुत्र अर्जुन ने तपस्या की थी और वरदान प्राप्त किया था. इतना ही नहीं मां आशापुरी को राजा मांधाता और पृथ्वीराज चौहान की कुलदेवी भी माना जाता है. नवरात्रि में यहां रोजाना हजारों श्रद्धालु पहुंचकर मां के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.

मां आशापुरी का यह मंदिर जिले के आशापुर गांव में स्थित है. मान्यता है कि यहां अर्जुन और आल्हा-ऊदल ने तपस्या कर मां को प्रसन्न किया था. इसी वजह से माता को सभी की आशाओं को पूरा करने वाली देवी कहा जाता है. मंदिर समिति के पास मौजूद शिलालेखों के अनुसार, करीब 800 साल पहले इसका पहला जीर्णोद्धार हुआ था, जबकि वर्ष 2012 में इसे जनसहयोग से भव्य स्वरूप प्रदान किया गया.

दर्जन को आते हैं 28 गौत्र के लोग 
मंदिर ट्रस्ट के त्रिलोक यादव और करण सिंह चौहान बताते हैं कि मां आशापुरी महाभारत कालीन हैं और उनका उल्लेख ग्रंथों में भी मिलता है. राजा मांधाता की यह कुलदेवी रही हैं और उनके वंशज आज भी पूजन के लिए मंदिर आते हैं. इसके अलावा पृथ्वीराज चौहान सहित मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के 28 गोत्रों के लोग मां आशापुरी को कुलदेवी मानकर पूजते हैं और नवरात्रि में खासतौर पर दर्शन के लिए आते हैं.

20 से ज्यादा गांवों से आती है चुनरी
पुजारी अशोक शर्मा के मुताबिक, नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और श्रृंगार होता है. रात को गरबा होता है. नौ दिनों तक शतचंडी महायज्ञ चलता है और आसपास के 20 से ज्यादा गांवों से चुनरी यात्रा लेकर भक्त मंदिर पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दिनभर खिचड़ी प्रसाद बांटा जाता है. मंदिर परिसर में मां आशापुरी के साथ महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, सात मात्रा देवी, नवग्रह देवता, भगवान गणेश, शिव और भैरव भी विराजमान हैं.

ये भी आकर्षण का केंद्र 
भक्तों का विश्वास है कि मां आशापुरी विवाह, संतान प्राप्ति और बीमारियों से मुक्ति जैसी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इसी आस्था के कारण नवरात्रि में यहां भक्तों का विशेष उत्साह देखने को मिलता है. मंदिर परिसर में शिव पर्वत और भगवान शिव की विशाल प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है. वहीं, सुंदर बगीचे में फाउंटेन, झरना, हरियाली और लाइटिंग श्रद्धालुओं के लिए अलग अनुभव प्रस्तुत करती हैं.

दर्शन के लिए कैसे पहुंचे मंदिर?  
इस साल नवरात्रि उत्सव पर मंदिर परिसर में भारत माता, अहिल्या माता और गौ माता की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, इनका उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को राष्ट्रधर्म, न्यायप्रियता और गौवंश के महत्व से अवगत कराना है. आशापुरी धाम जिलें की पवित्र और पर्यटन नगरी महेश्वर से मात्र 8 किलोमीटर, खरगोन मुख्यालय से 70 किलोमीटर और इंदौर से 90 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां बस और कार से आसानी से पहुंचा जा सकता है.



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