बड़वानी में शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक गरबा-डांडिया की धूम रही। रातभर कई स्थानों पर गरबा पंडाल सजे रहे, जहां महिलाओं और बालिकाओं ने उत्साहपूर्वक गरबा किया। गरबा समितियों ने प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया।
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सार्वजनिक नवरात्रि उत्सव समितियों के पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। गरबा गीतों और ढोलक की थाप पर बालिकाएं घंटों तक थिरकती नजर आईं। गरबा पंडालों के आसपास रंगबिरंगी विद्युत सज्जा की गई थी, जिससे उत्सव का माहौल और भी आकर्षक हो गया।
शहर के प्रमुख गरबा स्थलों में श्रीराम गरबा मंडल, मां गरबा रास, बजरंग गरबा मंडल नवलपुरा, त्रिवेणी गरबा मंडल, आशाग्राम में नवयुवक गरबा मंडल और रानीपुरा मोहल्ले आनंद नगर सहित कई स्थानों पर रातभर गरबा आयोजन हुए। इन आयोजनों में विभिन्न गरबा समूहों के लिए अलग-अलग ड्रेस कोड भी निर्धारित किए गए थे। ग्रामीण क्षेत्रों में भी गरबा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
इन आयोजनों में क्षेत्रीय विधायक राजन मंडलोई और नगर पालिका अध्यक्ष अश्विनी चौहान सहित कई जनप्रतिनिधि शामिल हुए। विधायक मंडलोई ने शहर सहित विधानसभा क्षेत्र के दुर्गा मंदिरों और पंडालों में पहुंचकर विशेष पूजा-अर्चना की, श्रृंगार सामग्री अर्पित की और आरती-महाआरती में भाग लेकर श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने कन्या पूजन में भी हिस्सा लिया और प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की।
शहर के कालिका माता मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, मोटी माता मंदिर सहित कई देवी मंदिरों में रातभर गरबा आयोजनों के साथ माता दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। नवरात्र के अंतिम दिन कई स्थानों पर गरबे के साथ पुरस्कार वितरण और हवन का आयोजन भी किया गया। गुरुवार सुबह माता रानी को विदाई दी गई।
शहर के राजघाट रोड पर नगर पालिका द्वारा बनाए गए विसर्जन कुंड पर माता की मूर्तियों को विसर्जन के लिए एकत्रित किया जा रहा है, जिन्हें बाद में एक साथ कृत्रिम कुंड में विसर्जित किया जाएगा।
इस अवसर पर उन्होंने विधानसभा क्षेत्रवासियों की सुख-समृद्धि की मंगलकामना करते हुए कहा कि नवरात्र शक्ति, आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा का पर्व है। यह हमें माता दुर्गा के विविध रूपों की आराधना कर नई प्रेरणा और सकारात्मक शक्ति प्रदान करता है। नवरात्र में उपवास, साधना, कन्या पूजन और सामूहिक भक्ति का विशेष महत्व है। इससे समाज में सामूहिकता, भाईचारा और सद्भाव की भावना प्रबल होती है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में कन्या को देवी स्वरूप माना गया है और कन्या भोज के माध्यम से हम यह संदेश देते हैं कि नारी शक्ति का सम्मान समाज की मूल धारा है। नवरात्र हमें शक्ति की उपासना के साथ-साथ सेवा, सहयोग और सद्भाव का भी संदेश देता है।




