Gandhi Jayanti Special: रीवा में बापू की यादें… लक्ष्मण बाग मंदिर से जुड़ी अस्थि कलश की कहानी

Gandhi Jayanti Special: रीवा में बापू की यादें… लक्ष्मण बाग मंदिर से जुड़ी अस्थि कलश की कहानी


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रीवा के लक्ष्मण बाग मंदिर परिसर में कभी गांधी जी का अस्थि कलश रखा गया था. बापू भवन और शिलापट आज भले गायब हों, लेकिन यहां की यादें अब भी गांधी जी को लोगों से जोड़ती हैं, जानिए रीवा और बापू का खास रिश्ता…

Rewa News: रीवा का लक्ष्मण बाग मंदिर इतिहास का वो पन्ना है, जिसने गांधी जी को विंध्य से जोड़ा. कहते हैं कि बापू के कदम भले ही रीवा की धरती पर सीधे न पड़े हों, लेकिन उनकी यादें यहां आज भी जिंदा हैं.  जब गांधी जी का अस्थि कलश प्रयाग संगम में विसर्जन के लिए ले जाया जा रहा था, तब उसे एक रात के लिए रीवा के लक्ष्मण बाग मंदिर परिसर में रखा गया था.

रीवा का लक्ष्मण बाग जब लोकल 18 की टीम पहुंची तो वहां न बापु भवन था न कोई अस्थिकलश से संबंधित प्रमाण, मंदिर परिसर में कई पंडित मिले जिन्होंने वहां अस्थिकलश एक रात रखे जाने की पुष्टि की और कुछ फोटो भी उपलब्ध कराई. उन्हीं में से आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि यह बात बिल्कुल सत्य है कि रीवा के लक्ष्मण बाग मंदिर परिसर में गांधी जी का अस्थिकलश रखा गया था.

बापू के दो डग रीवा में भले ही नहीं पड़े हों. लेकिन शहर में स्थित लक्ष्मण बाग मंदिर परिसर में स्थित बापू भवन रीवा के लोगों को न केवल बापू की याद दिलाता है बल्कि उन्हें बापू के बताए रास्तों पर चलने को प्रेरित भी करता है. कभी यहां मौजूद बापू भवन में लिखा ‘हे राम यहां के लोगों को बापू से जोड़े रखता था, लेकिन अब यहां ऐसा कुछ नहीं है फिर भी लोग आज भी उनकी जयंती पर लक्षमण बाग संस्थान में आते हैं और उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करते हैं.

अस्थि कलश ले जा रहे थे संगम
आचार्य बताते हैं कि बापू का अस्थिकलश प्रयाग नगरी संगम में विसर्जन के लिए ले जाते समय लक्षमण बाग संस्थान में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया था. बापू के अस्थिकलश के पहुंचने की खबर लगते ही शहरवासियों के साथ आस-पास के ग्रामीण लोगों की भीड़ भी उमड़ पड़ी थी. लोगों के दर्शन के बाद अस्थिकलश प्रयागनगरी के लिए ले जाया गया.

रीवा से जुड़ी है बापू की याद
बापू के इशारे में आंदोलन में भागीदारी करने वाले स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं बल्कि यहां का लक्ष्मण बाग भी बापू की यादों को ताजा करने का काम करता है. लक्ष्मण बाग में बापू का अस्थि कलश रखा गया था. यह स्थान हमेशा के लिए विंध्य क्षेत्र को बापू से जोड़ कर रखने वाला है. जिसके लिए यहां के लोग खुद को गर्वान्वित महसूस करते हैं. उनकी याद में यहां वर्ष 1972 में एक शिलापट भी लगाया गया है. प्रशासन के देखरेख में इस स्थान को और भी विकसित करने और दर्शनीय स्थल बनाने की योजना बनाई गई, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि उस स्थान पर अब संस्कृत विश्वविद्यालय खोल दिया गया है.

Dallu Slathia

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 7 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें

Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 7 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across … और पढ़ें

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