क्रिकेट पिच से बल्ला उठाकर इंडियन आर्मी को सैल्यूट, ध्रुव जुरेल ने अपना पहला ही शतक यादगार बना दिया

क्रिकेट पिच से बल्ला उठाकर इंडियन आर्मी को सैल्यूट, ध्रुव जुरेल ने अपना पहला ही शतक यादगार बना दिया


भारत और वेस्टइंडीज के अहमदाबाद में जारी टेस्ट के दूसरे दिन ध्रुव जुरेल ने शानदार शतक ठोका. उनके टेस्ट करियर का यह पहला सैकड़ा रहा, जो उन्होंने 190 गेंदों में पूरा किया. शतक ठोकने के बाद उनका सेलिब्रेशन ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं. जुरेल ने शतक लगाने के बाद बल्ले को उसी अंदाज में पकड़ा जैसे एक सैनिक अपनी बंदूक पकड़ता है. इसके बाद उन्होंने सैल्यूट भी किया. फैंस ने माना कि उन्होंने अपने पिता को यह शतक डेडिकेट किया, जैसा की वह पहले भी क्रिकेट के मैदान पर कई बार कर चुके हैं, लेकिन दिन का खेल खत्म होने के बाद जुरेल ने बताया कि यह उन्होंने भारतीय आर्मी के लिए किया. बता दें कि ध्रुव जुरेल के पिता नेम चंद भारतीय सेना में रहे हैं. वह कारगिल की लड़ाई का भी हिस्सा रहे हैं.

करियर का पहला टेस्ट शतक

190 गेंद में अपना शतक पूरा करने वाले जुरेल ने 210 गेंद पर 125 रन की पारी खेली. ध्रुव का यह शतक विशेष है. उन्होंने इसे खास अंदाज में सेलिब्रेट कर और भी यादगार बना दिया. वह भारतीय धरती पर वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक लगाने वाले तीसरे विकेटकीपर बल्लेबाज बने हैं. जुरेल से पहले एमएस धोनी और फारुख इंजीनियर वेस्टइंडीज के खिलाफ घर में शतक लगा चुके हैं. ऋषभ पंत की इंजरी की वजह से ध्रुव जुरेल को प्लेइंग इलेवन में मौका मिला है. जुरेल ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया है. अपने शतक से जुरेल ने साबित किया कि वह भारतीय टीम में लंबे समय तक टिकने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

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भारतीय आर्मी को किया डेडिकेट

ध्रुव जुरेल ने बाद में खुलासा किया कि उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक भारतीय सेना को समर्पित किया. मैच के बाद जुरेल ने कहा कि जब उन्होंने फिफ्टी के बाद वाला जश्न अपने पिता के लिए मनाया और शतक का जश्न भारतीय सेना को समर्पित किया. इस युवा विकेटकीपर ने कहा कि वह युद्ध के मैदान में तैनात सैनिकों का सम्मान करते हैं. जुरेल ने कहा, ‘पचास रन पूरे होने पर सलामी (जश्न) मेरे पिता के लिए थी, लेकिन शतक के लिए यह कुछ ऐसा था जो मेरे दिमाग में बहुत लंबे समय से था, क्योंकि मैं भारतीय सेना के बहुत करीब रहा हूं, मैंने अपने पिता को बचपन से देखा है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम जमीन पर जो करते हैं और वे (सैनिक) युद्ध के मैदान में जो करते हैं, वह बहुत मुश्किल है और आप इसकी तुलना नहीं कर सकते. मेरे मन में हमेशा उनके लिए सम्मान रहेगा और भविष्य में मैं जो कुछ भी करूंगा, वह उनके लिए ही करूंगा.’ 24 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, ;’मैं यह (शतक) उन्हें (भारतीय सेना को) उनके काम के लिए समर्पित करना चाहूंगा. मैंने उन्हें करीब से देखा है और मैं उन चीजों में बहुत रुचि रखता हूं. मैं अपने पिता से भी पूछता रहता था. मैं इसे उन लोगों को समर्पित करूंगा जो इसके हकदार हैं.’

‘अगर मैं नहीं भी खेल रहा हूं…’

जुरेल ने कहा कि भले ही वह प्लेइंग-11 का हिस्सा न हों, लेकिन उनका लक्ष्य टीम के साथ बने रहना और कड़ी मेहनत करते रहना है ताकि जरूरत पड़ने पर वह अच्छा प्रदर्शन कर सकें. उन्होंने कहा, ‘यह विशेषाधिकार की बात है, बहुत से लोग टीम के साथ बने रहते हैं. अगर मैं नहीं भी खेल रहा हूं, तो भी मैं कड़ी मेहनत करता रहता हूं ताकि मौका मिलने पर अच्छा प्रदर्शन कर सकूं. यह अनुशासन से आता है और मैं खुद को प्रेरित रखता हूं.’





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