विदिशा नगर पालिका में अध्यक्ष और पार्षदों के बीच जारी गतिरोध गहरा गया है। पार्षदों ने उपाध्यक्ष को वित्तीय प्रभार सौंपने के प्रयासों का कड़ा विरोध किया है। शुक्रवार को 18 पार्षदों ने कलेक्टर अंशुल गुप्ता को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इसे महिला आरक्षण अध
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गुरुवार को हुई एक बैठक में 28 पार्षद मौजूद रहे, जिसमें उपाध्यक्ष के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया गया। तीन अन्य पार्षदों ने फोन पर अपनी सहमति व्यक्त की। यह कदम उपाध्यक्ष संजय दिवाकर को वित्तीय प्रभार सौंपने की चर्चाओं के बाद उठाया गया है।
इससे पहले, 38 पार्षदों ने अध्यक्ष प्रीति शर्मा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा था, लेकिन राज्य स्तर से इस पर कोई निर्णय नहीं आया है। इसी बीच, पार्टी नेताओं द्वारा उपाध्यक्ष को वित्तीय प्रभार सौंपने की खबरें सामने आईं, जिससे पार्षद भड़क गए। उनका कहना है कि यदि वित्तीय प्रभार उपाध्यक्ष को मिल भी गया तो पार्षदों की सुनवाई नहीं होगी।
कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि बिना सहमति के महिला अध्यक्ष से वित्तीय अधिकार पुरुष उपाध्यक्ष को सौंपने का प्रयास किया जा रहा है। पार्षदों ने इसे महिला आरक्षण अधिनियम और नगर पालिका अधिनियम का सीधा उल्लंघन करार दिया है।
नगर पालिका में चल रही इस लगातार उठापटक के कारण शहर का विकास पूरी तरह ठप पड़ गया है, जिससे आम जनता को बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है। पार्षदों का आरोप है कि अविश्वास प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने भी इस विवाद को सुलझाने में कोई रुचि नहीं दिखाई है।
कुछ पार्षदों का मानना है कि अध्यक्ष का इस्तीफा लेकर सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुना जाना चाहिए, तभी विकास संभव है। वहीं, कुछ पार्षदों को आशंका है कि “खाली कुर्सी – भरी कुर्सी” चुनाव की स्थिति में उन्हें नुकसान हो सकता है, इसलिए वे अब अविश्वास प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
इस पूरे विवाद पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) का कहना है कि यदि अध्यक्ष अस्वस्थ हैं या बाहर हैं, तो वे अपना वित्तीय प्रभार उपाध्यक्ष को सौंप सकते हैं, चाहे उपाध्यक्ष पुरुष हों या महिला