कहीं आप भी तो नहीं पी रहे कफ सीरप? गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर ने बताई हैरान करने वाली वजह

कहीं आप भी तो नहीं पी रहे कफ सीरप? गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर ने बताई हैरान करने वाली वजह


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Cough Syrup Linked Deaths In MP And Rajasthan: एमपी से लेकर राजस्थान तक कफ सीरप पीने के बाद किडनी फेल होने से बच्चों की मौत होने से हड़कंप मचा हुआ है. अब तक 11 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है. इन सिरप पर छिंदवाड़ा में जिला प्रशासन ने बैन लगाया है, लेकिन सीरप में कौन सा ऐसा खतरनाक केमिकल है, जो बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है. इस पर एक्सपर्ट ने क्या कहा, जानिए.

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Cough Syrup Linked Deaths In MP And Rajasthan: कफ सीरप पीने के बाद किडनी फेल होने से बच्चों की मौत होने के बाद एमपी से लेकर राजस्थान तक हड़कंप मचा हुआ है. अब तक 11 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, जिसमें 9 अकेले छिंदवाड़ा जिले के बच्चे शामिल हैं. छिंदवाड़ा में इन सिरप पर जिला प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन सीरप में कौन सा खतरनाक केमिकल है और बच्चों में किडनी खराब होने से संबंधित कौन से लक्षण आते हैं. अगर समय पर इनको पहचान लिया जाए तो बड़ी घटनाएं होने से बचाई जा सकती हैं.

इसको लेकर लोकल18 की टीम ने सागर के बंसल हॉस्पिटल में पिछले 3 साल से काम कर रहे किडनी स्पेशलिस्ट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर विकास गुप्ता से बात की. डॉ विकास गुप्ता मुंबई से है और वे विशाखापट्टनम यूनिवर्सिटी 2018 के डीएम नेफ्रोलॉजिस्ट-गोल्ड मेडलिस्ट हैं. डॉ विकास गुप्ता ने बताया जो मामले अभी बच्चों में देखे गए थे, उसमें प्रॉब्लम यह है कि जो दवाइयां दी गई थी वह ओवर दी काउंट मेडिसिन होती हैं, जिसमें एक केमिकल होता है डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) गाड़ियों में कूलेंट करने में इस्तेमाल किया जाता है. इसकी अगर थोड़ी सी भी मात्रा शरीर में जाए तो यह किडनी और दिमाग पर असर कर सकती है. इसी कारण बच्चों की जान गई थी.

शुरुआती दौर में लक्षण
यह केमिकल 2ML भी शरीर में चली जाएं तो वह जानलेवा होती है और शुरुआती दौर में सांस फूल सकती है, आंखों की रोशनी जा सकती है. दिमागी तौर पर असर कर सकता है और बेहोश हो सकते हैं. यह सभी लक्षण एक दिन के अंदर आ सकते हैं. इससे बचने के लिए सही डॉक्टर की सलाह पर ही मेडिसिन लें. ऐसा बिल्कुल न करें कि आप मेडिकल स्टोर पर जाएं और अपने हिसाब से दवाएं लेने लगें, दूसरी चीज जब किडनी खराब होती है तो उसके जो लक्षण होते हैं, उसमें पेशाब कम होना, सूजन आना, सांस फूलना, कमजोरी रहना, भूख न लगना, यह ऐसे लक्षण हैं, जो बाकी बीमारी में भी पाए जाते हैं. इसलिए किडनी प्रॉब्लम की कन्फर्मेशन करने के लिए ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट करने होते हैं.

अभी जो केसेस हुए थे जिसमें काफी बच्चों की जान गई है, उसमें बचने का तरीका सिंपल था कि जो केस हैं और उसकी जांच पहले की जाए. तो पहले बीमारी पकड़ सकते हैं. इसमें बाथरूम कम आ रहा था, बच्चों की सांस फूल रही थी, जो शुरुआत में अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर बीमारी को पकड़ पाए. उन्होंने ट्रीटमेंट शुरू किया, कुछ को डायलिसिस भी लगा और जो केमिकल था उसको निकाला और उनकी जान बच पाई.

डॉक्टर की सलाह लें
यही है कि जब बीमारी हो तो शुरुआती किडनी सिम्टम्स प्रॉब्लम है और कुछ भी आपको लक्षण हो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. अगर समझ में न आए तो जो किडनी स्पेशलिस्ट होते हैं उनको दिखाना चाहिए. किडनी की बीमारी जो शुरुआती दौर पर होती है उनको ठीक किया जा सकता है और जान बच सकती है. इसी चीज में लापरवाही की तो किडनी खराब हो सकती है. छोटी उम्र में किडनी का खराब होना मतलब जिंदगी खराब हो जाती है. हम ज्यादा से ज्यादा डायलिसिस कर सकते हैं या आगे जाकर किडनी ट्रांसप्लांट भी करना पड़ सकता है. इससे बचने का यह तरीका है कि कोई भी तकलीफ हो तो डॉक्टर को दिखाएं.

Deepti Sharma

Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re…और पढ़ें

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