बैन तो ठीक! इन मासूम मुस्कानों के हत्यारों को तलाशें: मप्र में कोल्ड्रिफ सिरप व इसकी कंपनी के सभी उत्पाद बैन; कंपनी पर FIR; केंद्र ने कहा- राज्य सरकार स्लीपिंग मोड में थी – Bhopal News

बैन तो ठीक! इन मासूम मुस्कानों के हत्यारों को तलाशें:  मप्र में कोल्ड्रिफ सिरप व इसकी कंपनी के सभी उत्पाद बैन; कंपनी पर FIR; केंद्र ने कहा- राज्य सरकार स्लीपिंग मोड में थी – Bhopal News



मध्य प्रदेश में 12 बच्चों की मौत के बाद आखिरकार सरकार जाग गई। शुक्रवार देर रात तमिलनाडु सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप में ‘जहर’ की पुष्टि हुई। श्रीसन कंपनी की जांच में कफ सिरप में 48.6% डाईथाइलीन ग्लॉयकाल (डीईजी) मिला था। शनिवार रात 12:30 बजे मप्र सरकार क

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आमतौर पर कफ सिरप में इसे 0.1% से अधिक नहीं मिलाया जा सकता, क्योंकि यह जहरीला होता है। इससे पहले मप्र सरकार ने सिरप और इसे बनाने वाली कंपनी श्रीसन के सभी उत्पादों पर बैन लगा दिया। देर रात कंपनी संचालकों के खिलाफ छिंदवाड़ा में एफआईआर दर्ज की गई।

हालांकि, पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही सामने आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में बताया कि शुरुआत में मौतों को लेप्टोस्पायरोसिस (संक्रमणजनित बुखार) समझा गया। जांच में एक ही मामला पॉजिटिव मिला। फिर भी सैंपल तमिलनाडु भेजने में 10-15 दिन लगाए। पहली मौत 4 सितंबर को हुई। तमिलनाडु से रिपोर्ट 4 अक्टूबर को आई। मंत्रालय ने कहा- अगस्त में जांच होती तो 7 से 8 बच्चे बच जाते।

बच्चों को सिरप डॉ. प्रवीण सोनी ने लिखे, उनके भतीजे के मेडिकल स्टोर से 300 सिरप बिके

छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से जान गंवाने वाले 11 बच्चे परासिया तहसील के थे। इनका इलाज डॉ. प्रवीण सोनी ने किया था। श्रीसन कंपनी के मप्र में मुख्य स्टॉकिस्ट जबलपुर के राजपाल कटारिया हैं। कटारिया ने एसआर-13 बैच की 554 बोतलें छिंदवाड़ा भेजीं। इनमें से 334 बोतलें न्यू अपना मेडिकल को दी गईं, जिनमें से 300 बोतलें बिक चुकी हैं। यह मेडिकल स्टोर डॉ. प्रवीण सोनी के भतीजे राजेश सोनी का है।

तमिलनाडु ने तीसरे दिन दे दी रिपोर्ट… मप्र में 6 दिन लगे मप्र के फूड एंड ड्रग कंट्रोलर दिनेश कुमार मौर्य ने बताया कि संदिग्ध सिरप की जांच के लिए 1 अक्टूबर को तमिलनाडु को पत्र भेजा गया था। वहां से तीसरे दिन रिपोर्ट आ गई। मप्र में 29 सितंबर को 19 सैंपल भेजे गए। शनिवार तक 7 रिपोर्ट आईं।

देश में दवा निगरानी की प्रक्रिया कमजोर

  • 2017 की सीडीएससीओ ‘रिकॉल और रैपिड अलर्ट’ गाइडलाइन के मुताबिक, कोई दवा जानलेवा (क्लास-I रिस्क) साबित हो जाए, तो उसे 72 घंटे में बाजार से वापस लेना जरूरी है। लेकिन, रिपोर्ट आने में हफ्ते लग जाते हैं, क्योंकि देश की कुल 100 लैब्स में से 20 ही पूरी तरह काम कर रही हैं।
  • 2023 में डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी थी कि हर निर्यात बैच का टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट जरूरी। छोटी यूनिट्स में पालन नहीं।

मप्र में 450 बोतलें फ्रीज की गई हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव ने अमानक दवा जब्त करने के निर्देश दिए हैं। मृत बच्चों के परिजनों को 4-4 लाख रु. की सहायता घोषित की है। हिमाचल प्रदेश और गोवा से ली गई दो अन्य दवाओं के सैंपल मानक पाए गए हैं। देर रात ड्रग कंट्रोलर ने पुष्टि की- जहरीले सिरप से मौतें हुईं।



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