रविवार को भोपाल, रायसेन और सागर समेत कई जिलों में बारिश हुई।
विदाई के बीच मध्यप्रदेश में मानसून जमकर बरस रहा है। रविवार को भोपाल समेत 20 से ज्यादा जिलों में बारिश हुई। भोपाल में ही ढाई इंच और बैतूल में 2 इंच से ज्यादा पानी गिर गया। मौसम विभाग ने सोमवार को प्रदेश के कई जिलों में हल्की बारिश होने का अनुमान जताया
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मौसम वैज्ञानिक अरुण शर्मा ने बताया कि अगले 3 दिन में हल्की बारिश का दौर रहेगा। वहीं, ग्वालियर-चंबल संभाग ड्राई रहेगा। फिलहाल कहीं भी भारी बारिश का अलर्ट नहीं है।
इतनी तेज बारिश की भोपाल-इंदौर स्टेट हाईवे पर रेंगती हुई चली गाड़ियां रविवार को भोपाल, बैतूल समेत 20 से ज्यादा जिलों में बारिश हुई। भोपाल में ढाई इंच और बैतूल में 2 इंच से ज्यादा पानी गिर गया। भोपाल में शाम को तेज बारिश का दौर चला। भोपाल-इंदौर रोड पर इतनी तेज बारिश थी कि गाड़ियां रेंगती हुई चली। बारिश की वजह से भदभदा और कलियासोत डैम के एक-एक गेट रात में ही खोल दिए गए।
गुना, नर्मदापुरम, पचमढ़ी, श्योपुर, शिवपुरी, शाजापुर, सीहोर, छिंदवाड़ा, दमोह, सतना, सिवनी, बालाघाट में भी बारिश हुई। श्योपुर और सिवनी में करीब डेढ़ इंच पानी गिरा। देर रात तक प्रदेश के कई जिलों में कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश हुई।
प्रदेश में हुई बारिश की देखिए तस्वीरें…

भोपाल में रविवार को तेज बारिश हुई।

रायसेन में एक घंटे की तेज बारिश के बाद जिला अस्पताल परिसर में पानी भर गया।

परिसर में चल रहे भंडारे को भी पानी भरने की वजह से रोकना पड़ा।
रायसेन जिला अस्पताल परिसर में जलभराव रविवार को रायसेन में करीब एक घंटे की तेज बारिश के बाद जिला अस्पताल परिसर और मुख्य मार्ग पर पानी भर गया। अस्पताल परिसर में करीब आधा फीट पानी जमा हो गया, जिससे यह तालाब जैसा दिखने लगा। मरीजों और उनके परिजन को आवाजाही में काफी परेशानी हुई।
परिसर में चल रहे भंडारे को भी रोकना पड़ा। भंडारे के आयोजक और श्रद्धालु पानी निकालने के लिए वाइपर का इस्तेमाल करते दिखे, लेकिन पानी का स्तर कम नहीं हो पाया। बारिश का पानी मंदिर के दरवाजे तक भी पहुंच गया।

रायसेन जिला अस्पताल के मुख्य मार्ग पर भी पानी भर गया।
10 अक्टूबर तक लौटेगा मानसून प्रदेश के 12 जिलों से अब तक मानसून विदा हो चुका है। बाकी के जिलों से 10 अक्टूबर तक मानसून के लौटने की संभावना है। इससे पहले कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश का दौर बना रहेगा। अगले 3 दिन बूंदाबांदी होने का अनुमान है।
अब तक इन जिलों से लौट चुका मानसून मौसम विभाग के अनुसार, अब तक ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी, गुना, आगर-मालवा, नीमच, मंदसौर और रतलाम से मानसून विदा हो चुका है। राजगढ़ और अशोकनगर के कुछ हिस्से से मानसून विदा हुआ है। मौसम विभाग की माने तो मानसून की वापसी के लिए अभी परिस्थिति अनुकूल नहीं है, लेकिन 10 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश से मानसून विदाई ले लेगा।
बता दें कि इस साल मानसून ने मध्यप्रदेश में 16 जून को दस्तक दी थी। समय से एक दिन बाद मानसून प्रदेश में एंटर हुआ था। मौसम विभाग के अनुसार, 6 अक्टूबर तक प्रदेश के सभी जिलों से मानसून विदा हो जाता है, लेकिन नया सिस्टम बनने से विदाई की तारीख आगे भी बढ़ सकती है।
गुना में सबसे ज्यादा बारिश इस बार गुना में सबसे ज्यादा पानी गिरा है। 65.6 इंच बारिश दर्ज हुई। मंडला-रायसेन में 62 इंच से अधिक और श्योपुर-अशोकनगर में 56 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है। वहीं, शाजापुर, खरगोन, खंडवा, बड़वानी और धार सबसे कम बारिश वाले टॉप-5 जिलों में शामिल हैं। शाजापुर में 28.9 इंच, खरगोन में 29.6 इंच, खंडवा में 32 इंच, बड़वानी में 33.5 इंच और धार में 33.6 इंच पानी गिरा है।
एमपी में इस मानसूनी सीजन इतनी बारिश…



इंदौर संभाग की तस्वीर भी सुधरी इस मानसूनी सीजन में शुरुआत से ही इंदौर और उज्जैन संभाग की स्थिति ठीक नहीं रही। एक समय तो इंदौर में प्रदेश की सबसे कम बारिश हुई थी। ऐसे में अटकलें थीं कि क्या इस बार इंदौर में सामान्य बारिश भी होगी? लेकिन सितंबर महीने में तेज बारिश की वजह से इंदौर में सामान्य बारिश का कोटा पूरा हो गया। संभाग के सभी जिलों में भी बारिश की बेहतर तस्वीर हो गई। दूसरी ओर, उज्जैन जिले में अब भी कोटा पूरा नहीं हुआ। सबसे कम बारिश वाले जिलों में शाजापुर पहले नंबर पर है।
ग्वालियर, चंबल-सागर सबसे बेहतर एमपी में जब से मानसून एंटर हुआ, तब से पूर्वी हिस्से यानी, जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में तेज बारिश हुई है। यहां बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव रहे। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आ गई। ग्वालियर-चंबल में भी मानसून जमकर बरसा है। यहां के सभी 8 जिलों में कोटे से ज्यादा पानी गिर चुका है। इनमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया और श्योपुर शामिल हैं। 49 में से भोपाल संभाग के 5, इंदौर में 8, जबलपुर के 8, ग्वालियर के 5, सागर के 6, उज्जैन के 4, चंबल के सभी 3, शहडोल के 3, रीवा के 5 और नर्मदापुरम संभाग के 3 जिले शामिल हैं।
अगले 2 दिन ऐसा रहेगा मौसम…


जानिए, अक्टूबर में कब कैसा रहा 5 बड़े शहरों का मौसम…
भोपाल: 2012 में रिकॉर्ड 38 डिग्री रहा था तापमान भोपाल में अक्टूबर का सामान्य औसत अधिकतम तापमान 32.7 और न्यूनतम तापमान 19.1 डिग्री सेल्सियस रहा है। पिछले 10 साल में तापमान 33 डिग्री के पार ही रहा। 2015 में यह 37.3 डिग्री तक पहुंच चुका है। 2012 में पारा रिकॉर्ड 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।
वहीं, न्यूनतम तापमान 11.7 डिग्री 12 अक्टूबर 2012 को रहा था। इस महीने बारिश का भी ट्रेंड है। साल 1955 में पूरे महीने साढ़े 7 इंच बारिश हुई थी। 6 अक्टूबर 2009 को 24 घंटे में रिकॉर्ड 5 इंच पानी गिरा था।

इंदौर: 25 साल पहले रिकॉर्ड 6.2 डिग्री रहा था न्यूनतम तापमान इंदौर में भी तीनों मौसम देखने को मिलते हैं। पिछले 10 साल 2015 से 2024 की बात करें, तो दिन में एक बार 36 डिग्री और तीन बार 35 डिग्री सेल्सियस तापमान रह चुका है। रात का टेम्प्रेचर 14 से 16 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में रात में ठंड का असर बढ़ जाता है। इस महीने इंदौर में बारिश होने का ट्रेंड है। साल 2013 में सबसे ज्यादा 4 इंच बारिश दर्ज की गई थी। पिछले साल 1 इंच पानी गिरा।
इंदौर में 22 अक्टूबर 2000 को दिन का तापमान 37.8 डिग्री तक पहुंच गया था। यह अब तक का रिकॉर्ड है। 25 साल पहले 22 अक्टूबर 1999 को रात का तापमान 6.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। यह अब तक की सबसे ठंडी रात रही थी। वर्ष 1985 में अक्टूबर महीने में 9 इंच से ज्यादा बारिश हो गई थी। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश 9 अक्टूबर 1985 को 6.19 इंच हुई थी।

ग्वालियर: 39 डिग्री तक पहुंच जाता है दिन का तापमान ग्वालियर में अक्टूबर महीने में भी दिन में तेज गर्मी पड़ती है। वर्ष 2015 में अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। पिछले 10 साल में अमूमन तापमान 35 से 39 डिग्री के बीच ही रहा है। 27 अक्टूबर 1994 को दिन का तापमान 40.1 डिग्री दर्ज किया गया था, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। यहां का औसत अधिकतम तापमान 34.2 डिग्री और औसत न्यूनतम तापमान 19.3 डिग्री सेल्सियस है।
यहां जिस तरह से गर्मी पड़ती है, उसी तरह से ठंड का असर भी रहता है। 2018 में तापमान 11.9 डिग्री दर्ज किया गया था। 31 अक्टूबर 1952 को न्यूनतम तापमान 8.9 डिग्री रहा था। 10 में से 8 साल बारिश का दौर भी रहा। वर्ष 2013 और 2022 में 4 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी। सर्वाधिक मासिक बारिश वर्ष 1956 में 8.68 इंच हुई थी। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश 13 अक्टूबर 1955 को हुई थी। इस दिन 6 इंच पानी बरस गया था।

जबलपुर: 73 साल पहले सबसे सर्द रही थी रात जबलपुर में अक्टूबर महीने में औसत अधिकतम तापमान 31.8 और औसत न्यूनतम तापमान 20.3 डिग्री सेल्सियस रहता है। हालांकि, पिछले 10 साल में दिन-रात का पारा इससे अधिक ही रहा। 11 अक्टूबर 2015 को तापमान 36.1 डिग्री रहा था जबकि पिछले 2 साल से रात में तापमान 14 से 17.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
5 अक्टूबर 1966 को अधिकतम तापमान 37.9 डिग्री दर्ज किया गया था, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। 30 अक्टूबर 1952 को न्यूनतम तापमान 10.5 डिग्री रहा था। वर्ष 1916 में सबसे ज्यादा 10.46 इंच मासिक बारिश हुई थी। 24 घंटे में सर्वाधिक 5 इंच बारिश 4 अक्टूबर 1977 को हुई थी। पिछले साल हल्की बारिश दर्ज की गई थी।

उज्जैन: 10 में से 3 साल बारिश नहीं हुई उज्जैन में पिछले 10 में से 3 साल अक्टूबर महीने में बारिश नहीं हुई। वर्ष 2009 में सर्वाधिक मासिक बारिश 4.46 इंच हुई थी। 24 घंटे में सबसे ज्यादा 5 अक्टूबर 2009 को हुई थी। इस दिन 92 मिमी यानी 3.62 इंच बारिश हो गई थी।
दूसरी ओर, 5 अक्टूबर 2002 को दिन का तापमान 39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जो अब तक का सबसे अधिक है। 29 अक्टूबर 1983 को न्यूनतम तापमान 8.1 डिग्री रहा था।
