छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से मासूमों की मौत ने हर एक को झकझोर दिया है। इस दर्दनाक घटना के बाद अब राज्य सरकार ने बच्चों को दी जाने वाली दवाओं, खासकर कंबिनेशन मेडिसिन (संयोजन औषधियों) के उपयोग पर सख्त रुख अपनाया है।
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भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की अहम बैठक में तय हुआ कि अब डॉक्टर बच्चों को कोई भी सिरप लिखते समय अतिरिक्त सावधानी बरतेंगे। वहीं, फार्मेसी में बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवाओं की बिक्री को लेकर भी सरकार ने बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है।
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने साफ कहा कि मासूमों की मौत हृदयविदारक है, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। बैठक में यह भी तय किया गया कि केंद्र और राज्य के दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
सरकार ने माना- छिंदवाड़ा की घटना रासायनिक टॉक्सिसिटी से हुई बैठक में प्रमुख सचिव संदीप यादव ने बताया कि छिंदवाड़ा में बच्चों की मृत्यु के सभी पहलुओं की गहन जांच की गई। बच्चों के रीनल बायोप्सी रिपोर्ट में पाया गया कि मौत एक्यूट ट्यूबुलर नेक्रोसिस के कारण हुई, जो किसी रासायनिक टॉक्सिसिटी की ओर इशारा करता है।
बैठक में NHM के वरिष्ठ अधिकारी, AIIMS भोपाल की डॉ. शिखा मलिक, IAP के डॉ. महेश माहेश्वरी, सचिव डॉ. दिनेश मेकले, डॉ. अम्बर कुमार, डॉ. भूपेश्वरी पटेल, GMC भोपाल की डॉ. मंजूषा गुप्ता, डॉ. राकेश टिक्कस, डॉ. राकेश सुखेजा, डॉ. श्रुति सरकार, डॉ. गुफरान अहमद, और डॉ. राहुल खरे सहित बड़ी संख्या में शिशु रोग विशेषज्ञ शामिल हुए।
ज्योति सोनी के नाम से पंजीकृत था मेडिकल स्टोर प्रमुख सचिव यादव ने बताया कि जांच में पाया गया विषाक्त रसायन कफ सिरप में मौजूद था, जिसकी बिक्री अपना मेडिकल स्टोर, स्टेशन रोड, परासिया द्वारा की जा रही थी। यह मेडिकल स्टोर ज्योति सोनी के नाम से पंजीकृत था, लेकिन वहां कोई पंजीकृत फार्मासिस्ट मौजूद नहीं था।
अधिकारियों ने बताया कि यह पूरा परिसर डॉ. प्रवीण सोनी के अधिपत्य में था और उनकी जानकारी में अवैध रूप से दवाओं का वितरण किया जा रहा था। सरकार ने दोनों पर विधिसम्मत कार्रवाई शुरू कर दी है, मेडिकल स्टोर को सील कर उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा- दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी बैठक में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि यह घटना अत्यंत हृदयविदारक है और सरकार इसे लेकर पूरी तरह गंभीर है। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी स्थिति में नहीं छोड़ा जाएगा। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार डॉक्टरों के साथ मिलकर केंद्रीय और राज्य दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करेगी।
कंबिनेशन मेडिसिन पर केंद्र की सख्ती बैठक में बताया गया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने दिसंबर 2023 में ही क्लोरफेनिरामाइन मैलिएट (2 mg) और फिनाइलएफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड (5 mg) के संयोजन वाली दवा को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बावजूद बाजार में ऐसी कई दवाएं बेची जा रही थीं। इसी तरह, अक्टूबर 2025 में केंद्र ने फिर पत्र जारी कर बच्चों में कफ सिरप के उपयोग में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी थी।
बिना प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की बिक्री पर लगे रोक बैठक में एम्स भोपाल की शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शिखा मलिक ने चिंता जताते हुए कहा कि बिना चिकित्सक के प्रिस्क्रिप्शन के दवाओं की बिक्री रोकनी होगी। शेड्यूल-H ड्रग्स केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेची जानी चाहिए। हर बैच की जांच अनिवार्य होनी चाहिए। इसी तरह, डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कंबिनेशन मेडिसिन्स के उपयोग को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
IMA और IAP ने सरकार को सहयोग का भरोसा दिया इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के अध्यक्ष डॉ. महेश माहेश्वरी ने कहा कि उनकी संस्था पहले से ही दवाओं के तर्कसंगत उपयोग के लिए दिशानिर्देश जारी कर चुकी है। यदि शासन चाहे तो दिशा-निर्देशों के संशोधन में हमारी तकनीकी सहायता ली जा सकती है।
हम पूरी तरह सहयोग के लिए तैयार हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के सर्कुलर का समर्थन करते हुए भरोसा दिलाया कि उनकी संस्था और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) इस नीति को लागू करने में सरकार की मदद करेगी।
सुधारेंगे ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था उप मुख्यमंत्री ने कहा कि दूरस्थ इलाकों में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों को IAP और IMA के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को सुरक्षित दवा दी जा सके।