MS Dhoni Captaincy Controversy: भारतीय क्रिकेट टीम में इन दिनों कप्तानी को लेकर बड़ा बवाल चल रहा है. अचानक से रोहित शर्मा को वनडे की कप्तानी से हटाए जाने के बाद बड़ा विवाद पैदा हो गया है. सोशल मीडिया पर फैंस से लेकर क्रिकेटर एक्सपर्ट और कई पूर्व क्रिकेटर तक अजीत अगरकर की अगुआई वाली चयन समिति की आलोचना कर रहे हैं. कोच गौतम गंभीर भी इस मामले में घसीटे जा रहे हैं. चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद अब वह रोहित कप्तान के तौर पर मैदान पर नहीं उतरेंगे. वह शुभमन गिल के नेतृत्व में खेलेंगे.
रोहित-विराट के साथ एक जैसा सलूक
रोहित से पहले विराट कोहली के साथ भी भारतीय क्रिकेट में ऐसा ही हुआ था. 2021 में टी20 वर्ल्ड कप के बाद उन्होंने क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में कप्तानी छोड़ी थी. उसके बाद बीसीसीआई ने उन्हें वनडे से भी हटा दिया था. बोर्ड का कहना था कि तीनों फॉर्मेट में अलग-अलग कप्तान नहीं होंगे. तब कोहली ने टेस्ट की कप्तानी भी छोड़ दी थी. उसके बाद रोहित को कमान सौंपी गई. रोहित ने टी20 वर्ल्ड कप 2024 में जीत हासिल करने के बाद संन्यास लिया तो वह टेस्ट और वनडे के कप्तान रहे. टेस्ट में खराब फॉर्म के कारण उनकी आलोचना हुई तो मई में इंग्लैंड दौरे से पहले उन्होंने उस फॉर्मेट को अलविदा कह दिया. अब वह सिर्फ वनडे के कप्तान थे. ऐसे में चयनकर्ताओं ने फिर अलग-अलग फॉर्मेट में अलग-अलग कप्तान नहीं रखने की दलील देते हुए उन्हें पद से हटा दिया था.
धोनी की नहीं गई कप्तानी
रोहित और विराट से उलट पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हमेशा अपनी जगह बचाने में कामयाब रहे थे. उन्होंने तीनों फॉर्मेट में खुद से कप्तानी छोड़ी. वह कभी बर्खास्त नहीं हुए. धोनी ने 2007 में टी20 टीम की कमान संभाली और 2017 तक इस पद पर रहे. उन्होंने 2014 के अंत में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट की कप्तानी छोड़ी और संन्यास ले लिया. उसके बाद उन्होंने जनवरी 2017 में वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ दी. उन्होंने इस पद के लिए विराट का नाम आगे बढ़ाया.
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2018 में की थी कप्तानी
इसके बाद धोनी को 2018 में विराट कोहली की अनुपस्थिति और रोहित शर्मा के साथ उपकप्तान शिखर धवन को भी आराम दिए जाने पर एशिया कप के एक मैच में कार्यवाहक कप्तान बनना पड़ा था. वह बतौर कप्तान वनडे में उनका 200वां मैच भी था. वह वनडे में टीम इंडिया की कप्तानी करने वाले सबसे उम्रदराज क्रिकेटर भी बने थे. हालांकि, यह सिर्फ एक ही मैच के लिए था और फिर धोनी बतौर प्लेयर 2019 वर्ल्ड कप तक खेलते रहे. इसके बाद एक साल तक रेस्ट करने के बाद अगस्त 2020 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया.
जब बर्खास्त होने वाले धोनी
धोनी के करियर में एक समय ऐसा भी आया था कि वह बर्खास्त होने वाले थे. 2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद उनका बुरा दौर शुरू हुआ था. टीम इंडिया इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में बुरी तरह टेस्ट सीरीज हारी. दोनों विदेशी दौरे पर 4-0 की करारी हार मिली थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके बाद चयनकर्ताओं ने फरवरी 2012 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ट्राई सीरीज के लिए टीम चुनी तो किसी खिलाड़ी के नाम आगे कप्तान नहीं लिखा और लिस्ट को तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के पास भेजा गया. श्रीनिवासन ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए धोनी को कप्तानी से हटाने से इनकार कर दिया. इसका खुलासा तत्कालीन मुख्य चयनकर्ता मोहिंदर अमरनाथ ने किया था. तब ऐसा लगा था कि धोनी और चेन्नई सुपरकिंग्स के रिश्तों के कारण श्रीनिवासन ऐसा किया था, लेकिन कहा गया कि धोनी का रिकॉर्ड उन्हें एक या दो सीरीज में खराब कप्तान नहीं बनाता. इसके अलावा टेस्ट के आधार पर वनडे-टी20 से कैसे हटाया जा सकता है?
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चयनकर्ता ने बताई थी सच्चाई
मोहिंदर अमरनाथ ने तब एक टीवी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था, ”यह सर्वसम्मति से लिया गया फैसला था और सभी पांच चयनकर्ताओं ने इसका समर्थन किया. बोर्ड अध्यक्ष (श्रीनिवासन) ने महेंद्र सिंह धोनी को बदलने के सर्वसम्मति से लिए गए फैसले को मंजूरी नहीं दी. अगर एक ही व्यक्ति को कमान संभालनी है तो आपको चयन समिति की क्या जरूरत है? हमें वहां नहीं होना चाहिए. बीसीसीआई का संविधान कौन जानता है? क्या मौजूदा चयन समिति को इसकी जानकारी है? मुझे बीसीसीआई के संविधान की जानकारी नहीं थी.”
कप्तान का चयन नहीं हुआ था
अमरनाथ ने आगे कहा था, ”हम वहां विश्वास पर काम कर रहे हैं और अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया में निराशाजनक सीरीज के बाद धोनी की जगह किसी और को लाने का चयन समिति का सर्वसम्मति से फैसला था.” भारत के लिए 69 टेस्ट और 74 वनडे मैच खेलने वाले अमरनाथ ने कहा कि चयन समिति ने ट्राई सीरीज के लिए 17 खिलाड़ियों को चुना था, लेकिन कप्तान की घोषणा नहीं की थी. 1983 विश्व कप जीत में भारत के नायकों में से एक अमरनाथ ने कहा, “हमने ट्राई सीरीज के लिए टीम चुनी, 17 खिलाड़ियों का चयन किया लेकिन हमने कप्तान का चयन नहीं किया. कप्तान किसी और ने चुना था.” बताया जाता है इन्हीं कारणों के बाद अमरनाथ को बाद में उनके पद से हटा दिया गया. हालांकि, कुछ रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि उन्होंने खुद अपना पद छोड़ा था.