पन्ना जिले की गुनौर तहसील के बमुरहिया सिठौली सलेहा गांव के दो भाई बद्री प्रसाद और राजा भैया आधी रात को कलेक्ट्रेट में न्याय की गुहार लगाने पहुंचे हैं। उन्होंने ग्रामीणों पर अपनी निजी भूमि पर अवैध कब्जा करने और पुलिस पर प्रताड़ित करने समेत एफआईआर दर्ज
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पीड़ितों ने बताया कि गांव के गोरे लाल, हीरा लाल, भारत, अशोक, रामलाल, मरिया, महेश, राजेंद्र, गौरा, भल्ला, बब्लू, बहोरी, रावेन्द्रा और छोटू सहित अन्य लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं। इन लोगों ने उनकी निजी लगानी भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है और उन्हें जबरन अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है। विरोध करने पर उन्हें अपने ही घर में नहीं रहने दिया जाता और रोजाना प्रताड़ित किया जाता है।
पीड़ित बोले- पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी, गालियां देकर भगाया
पीड़ितों ने सलेहा पुलिस पर भी आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जब वे एफआईआर लिखवाने गए, तो पुलिस ने शिकायत लेने से मना कर दिया और उन्हें गाली देकर थाने से भगा दिया।
आरोप है कि पुलिसकर्मी बिना कोर्ट नोटिस या वारंट के 11 अगस्त 2025 और 3 अक्टूबर 2025 को उनके घर का गेट तोड़कर घुसे। उन्होंने हथियारों और लाठी-डंडों से मारपीट की, गालियां दीं और उन्हें अपहरण कर विरोधियों के घर जाने के लिए मजबूर किया।
बद्री प्रसाद और राजा भैया ने पुलिस और उक्त ग्रामीणों पर खाली कागजों पर जबरन अंगूठा लगवाने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इन कागजों का उपयोग बाद में एग्रीमेंट बनवाने के लिए किया जा सकता है।
पीड़ितों ने यह भी बताया कि पुलिस और ग्रामीणों ने मिलकर उनका मोबाइल छीनकर रिकॉर्ड और सबूत मिटा दिए हैं। इसके अलावा, सीएम हेल्पलाइन (181) और 100 नंबर पर की गई उनकी शिकायतों को भी बंद करवा दिया गया है।
बद्री प्रसाद ने बताया कि जब उन्हें कहीं से न्याय की उम्मीद नहीं मिली, तो वे मंगलवार, 7 अक्टूबर को साइकिल से पन्ना कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्ट्रेट में अवकाश होने के कारण वे कलेक्टर को अपना आवेदन नहीं दे पाए।
इसके बाद दोनों भाई रात में कलेक्ट्रेट के बाहर ही अपनी साइकिल टिकाकर बैठ गए। उनका कहना है कि वे सुबह कलेक्टर को अपना आवेदन सौंपने के बाद ही घर जाएंगे।

दोनों भाई साइकिल से पन्ना कलेक्ट्रेट पहुंचे।
तहसीलदार के आश्वासन के बाद दोनों भाई माने
मामले की जनकारी लगने के बाद पन्ना तहसीलदार अखलेश प्रजापति मौके पर पहुंचे और उन्होंने दोनों भाइयों का आवेदन लेकर उन्हें निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया। हालांकि पहले तो दोनों भाई कलेक्टर से ही मिलने की मांग पर अड़े रहे। लेकिन तहसीलदार की समझाइश पर मान गए। उन्हें बताया गया कि कलेक्टर भोपाल दो दिनों के लिए मीटिंग में गईं हैं। जिसके बाद तहसीलदार ने उनके खाने-पीने और रुकने की व्यवस्था की।