बाबा की कृपा! धीरेंद्र शास्त्री ने कथा में गवाया, ट्रेन में भिक्षा मांगने वाले अमित धुर्वे को टी-सीरीज से ऑफर

बाबा की कृपा! धीरेंद्र शास्त्री ने कथा में गवाया, ट्रेन में भिक्षा मांगने वाले अमित धुर्वे को टी-सीरीज से ऑफर


Khargone News: कहते हैं किस्मत जब साथ देती है तो रंक भी राजा बन जाता है. ऐसा ही हुआ है मध्य प्रदेश के खरगोन जिले की धार्मिक नगरी महेश्वर के रहने वाले अमित धुर्वे के साथ, जो कभी झोपड़ी में रहकर हारमोनियम सुधारने का काम करते थे, आज वही अपनी सुरीली आवाज से बागेश्वर धाम के मंच पर भजन गाकर देश-विदेश में प्रसिद्ध हो चुके हैं. अब उन्हें देशभर से कार्यक्रमों के ऑफर मिल रहे हैं, वहीं एल्बम सॉन्ग के लिए टी-सीरीज और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी तक ने संपर्क किया है.

ऐसी बदली किस्मत
लोकल 18 से खास बातचीत में 36 साल के अमित धुर्वे ने बताया, बागेश्वर धाम, पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र शास्त्री और मां नर्मदा की कृपा से उन्हें यह पहचान मिली. एक कार्यक्रम में मेरा भजन गाते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसके बाद खुद धीरेंद्र शास्त्री जी का फोन आया. उन्होंने मुझे बागेश्वर धाम बुलाया, मंच पर गाने का मौका दिया और वहीं से मेरी किस्मत बदल गई.

कच्ची झोपडी में रहते हैं अमित
अमित धुर्वे मूल रूप से मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बड़गांव के रहने वाले हैं. आदिवासी समाज से आते हैं. 14-15 साल से महेश्वर के बूढ़ी झीन इलाके में एक झोपड़ी में अपने 5 बच्चों (3 लड़कियां, 2 लड़के) और पत्नी के साथ रह रहे हैं. माता-पिता कटनी में ही रहते हैं. अमित की गरीबी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जिस घर में वह रहते हैं, उसकी दीवारें मिट्टी से बनी हुई हैं और छत तिरपाल से ढकी है.

पिता ने हारमोनियम और फकीरों ने गाना सिखाया
गांव-गांव घूमकर हारमोनियम सुधारने का काम करते हैं. इससे जो आमदनी होती है, उसी से अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. हारमोनियम सुधारने का काम उन्होंने अपने पिता से सीखा था, जबकि गायिकी उन्होंने फकीरों से सीखी है. अमित ने बताया, बचपन से ही भक्ति से जुड़े थे, लेकिन घर की माली हालत ठीक ना होने की वजह से बचपन में ही घर छोड़ दिया. कई सालों तक ट्रेनों  में गाने गाकर लोगों का मन बहलाया और बदले में भिक्षा ली.

ट्रेनों में भिक्षा मांगकर भरा पेट
10-12 साल की उम्र में वापस घर लौटे और पिता से हारमोनियम सुधारने का काम सीखा और फिर इसी को अपना पेशा बनाया. इस दौरान कई बार महेश्वर भी आए और वापस अपने घर लौट जाया करते. लेकिन, यहां का शांत वातावरण, सुंदरता और मां नर्मदा का तट उन्हें भा गया और फिर बीवी बच्चों के साथ यही डेरा जमा लिया. झोपड़ी बनाकर निवास करने लगे, हालांकि आज भी उनके दस्तावेज कटनी जिले के ही हैं, उनका मानना है कि मैं चाहे कहीं भी रहूं लेकिन मेरे पहचान मेरे गांव से ही है.

खुद धीरेन्द्र शास्त्री ने किया फोन
अमित ने बताया की बचपन से ही हनुमानजी के परम भक्त रहे हैं. उनकी कृपा से बागेश्वर धाम के बालाजी सरकार की कृपा मुझे मिली. पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने आधी रात खुद फोन करके मुझे बुलाया. उनकी कथा में मुझे भजन गाने का अवसर दिया. इससे मुझे दुनिया में पहचान मिली. वहां से लौटने के बाद देश ही नहीं विदेश से भी फोन आ रहे हैं और बधाइयां मिल रही हैं. कई लोग अपने यहां प्रोग्राम करने के लिए भी बुला रहे हैं.

देश-विदेश से मिले ऑफर
गुलशन कुमार की T-सीरीज कंपनी से उन्हें एल्बम सॉन्ग का ऑफर मिला है. प्रसिद्ध भोजपुरी अभिनेता और गायक मनोज तिवारी ने भी उन्हें सॉन्ग रिकॉर्डिंग का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा सिलीगुड़ी और कनाडा से भी उन्हें ऑफर मिला है. हालांकि, अभी कहीं आधिकारिक रूप से एग्रीमेंट नहीं हुआ है. लेकिन, इसी महीने, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में कई भजनों की प्रस्तुति देने के लिए प्रोग्राम तय हुए हैं.

पति के संघर्ष में पत्नी ने निभाया साथ
अमित धुर्वे के इस संघर्ष ओर कठिनाइयों से भरे सफर में उनकी पत्नी महारानी धुर्वे ने हर संभव साथ निभाया. उनका परिवार समृद्ध है, बावजूद इसके सुख सुविधाओं को छोड़कर पति के साथ इस झोपड़ी में जीवन गुजार रही हैं. पति की इस उपलब्धि पर महारानी धुर्वे ने कहा, सब बालाजी धाम और धीरेंद्र शास्त्री की कृपा से यह संभव हो पाया है. मैं बहुत खुश हूं. पति को बड़े बड़े लोगों के फोन आ रहे हैं, हर कोई उन्हें जानने लगा है.



Source link