मध्य प्रदेश में करवाचौथ माता का पहला मंदिर, साल में सिर्फ 1 दिन खुलते हैं कपाट

मध्य प्रदेश में करवाचौथ माता का पहला मंदिर, साल में सिर्फ 1 दिन खुलते हैं कपाट


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Karwa Chauth 2025: इस साल करवाचौथ (Chauth Mata Mandir Ujjain) पर सुहागिन महिलाओं को माता के आशीर्वाद के रूप में चुनरी, मां कामाख्या का कुमकुम और अभिमंत्रित रुद्राक्ष भेंट किया जाएगा.

उज्जैन. धार्मिक नगरी उज्जैन में अनगिनत मंदिर हैं, जिनकी महिमा दूर-दूर तक फैली है. ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर जीवनखेड़ी गांव में खेत के बीचोंबीच करवाचौथ माता मंदिर नाम से विख्यात है. इंदौर-उज्जैन फोरलेन से लगे उन्हेल बाईपास के पास जीवनखेड़ी गांव स्थित है. यह मंदिर डॉ कैलाश नागवंशी ने अपनी मां लक्ष्मीदेवी की स्मृति में बनवाया था. मंदिर मोक्षदायिनी मां शिप्रा के तट पर है. करवाचौथ पर इस मंदिर में हजारों की संख्या में महिलाएं पहुंचती हैं.

समाजसेवी डॉ कैलाश नागवंशी ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने निजी जमीन पर अपनी मां की याद में यह मंदिर साल 2000 में बनाया था. मंदिर के भीतर ही सास-बहू यानी पार्वती और ऋद्धि-सिद्धि की प्रतिमा और भाई-बहन यानी शुभ-लाभ और संतोषी माता की प्रतिमा है. ग्रामीणों का मानना है कि मंदिर में 12 महीने चौथ माता विश्राम करती हैं, इसलिए मंदिर में चौथ माता के दर्शन बंद रहते हैं. साल में सिर्फ करवाचौथ के दिन यह मंदिर खोला जाता है. इस दिन महिलाएं दूर-दूर से चौथ माता के दर्शन करने आती हैं और अपने सुहाग की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं.

इस बार प्रसाद में कुछ खास
डॉ कैलाश नागवंशी ने बताया कि इस साल करवाचौथ पर सुहागिन महिलाओं को माता के आशीर्वाद के रूप में चुनरी, कामाख्या माता का कुमकुम और अभिमंत्रित रुद्राक्ष भेंट किया जाएगा. दूर-दूर से श्रद्धालु प्रसाद लेने आते हैं.

हजारों भक्त करते हैं दर्शन
मंदिर के सेवक नागवंशी ने लोकल 18 को बताया कि माता यहां विश्राम करती हैं, इसलिए श्रद्धालुओं के लिए यह मंदिर साल में एक बार ही खुलता है. करवाचौथ पर माता तीन रूपों में दर्शन देती हैं. वह सुबह बाल रूप में, दोपहर में किशोरी रूप में और शाम को एक और रूप में दर्शन देती हैं. पिछले साल करवाचौथ पर करीब 15 हजार श्रद्धालु आए थे. इस साल करीब 20 हजार श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. यहां का प्रसाद घर में रखने से धन-धान्य में वृद्धि होती है, इसलिए हजारों लोग यहां पहुंचते हैं.

मध्य प्रदेश में चौथ माता का पहला मंदिर
समाजसेवी डॉ नागवंशी का मानना है कि मध्य प्रदेश में यह चौथ माता का पहला मंदिर है. उनकी पत्नी उषा नागवंशी के सपने में माता ने दर्शन दिए थे और कहा था कि वह ऐसा मंदिर बनाएं, जो कहीं नहीं हो, इसलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया. ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर राजस्थान के माधोपुर जिले के चौथ शहर के बरवाड़ा कस्बे में सिद्धपीठ चौथ माता के नाम से भी है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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