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MP Tiger Reserves: मध्य प्रदेश की धरती पर बाघों की दहाड़ सिर्फ जंगलों में नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की पहचान बन चुकी है. 9 टाइगर रिजर्व के साथ एमपी आज दुनिया में बाघों की सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश बन गया है.
मध्य प्रदेश भारत का इकलौता राज्य है, जहां बाघों की संख्या सबसे ज्यादा है. यही कारण है कि इसे पूरे देश में ‘टाइगर स्टेट’ के नाम से जाना जाता है. एमपी के जंगलों में न सिर्फ बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है, बल्कि इनके संरक्षण के लिए भी यहां कई कदम उठाए गए हैं.

प्रदेश में कुल 9 टाइगर रिजर्व हैं कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना, संजय-दुबरी, वीरांगना दुर्गावती, रातापानी और माधव टाइगर रिजर्व. हर रिजर्व अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और बाघों के अनुकूल वातावरण के लिए जाना जाता है. खास बात यह है कि पेंच टाइगर रिजर्व पर ही विश्व प्रसिद्ध ‘द जंगल बुक’ लिखी गई थी.

सरकारी और अंतरराष्ट्रीय आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में अगर किसी जगह पर सबसे ज्यादा बाघ हैं, तो वो है मध्य प्रदेश. यहां बाघों की कुल संख्या 785 तक पहुंच चुकी है. ये आंकड़ा रूस, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देशों से भी कहीं अधिक है, जो एमपी की बाघ संरक्षण नीति की सफलता को दर्शाता है.

कान्हा टाइगर रिजर्व के पशु चिकित्सक डॉ. संदीप अग्रवाल के मुताबिक, प्रदेश के टाइगर रिजर्व न केवल बाघों की सुरक्षित शरणस्थली हैं बल्कि ये ‘रिवाइल्डिंग सेंटर’ के रूप में भी काम कर रहे हैं. डॉ. संदीप ने पिछले 25 वर्षों में सैकड़ों बाघों का उपचार किया है और उन्हें नया जीवन दिया है.

डॉ. अग्रवाल का कहना है कि बाघों की उपस्थिति सिर्फ जैव विविधता के लिए ही नहीं बल्कि पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी बेहद जरूरी है. उनका मानना है कि बाघ जितने स्वस्थ रहेंगे, उतना ही हमारा पर्यावरण और जंगल सुरक्षित रहेंगे. यही कारण है कि एमपी में बाघों की निगरानी और उपचार की मजबूत व्यवस्था बनाई गई है.

प्रदेश सरकार भी बाघों के संरक्षण को प्राथमिकता देती है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर टाइगर रिजर्व के आसपास बसे गांवों को योजनाबद्ध तरीके से स्थानांतरित किया गया है, ताकि बाघों के प्राकृतिक आवास पर कोई जैविक दबाव न पड़े. इससे जंगलों की सीमा और सुरक्षित हुई है.

टाइगर रिजर्व में आधुनिक तकनीक का भी उपयोग हो रहा है. ड्रोन सर्विलांस, कैमरा ट्रैप और सैटेलाइट मॉनिटरिंग से अब हर बाघ की गतिविधि पर नजर रखी जाती है. इसके अलावा, जंगल में आग और शिकार की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए वन विभाग लगातार गश्त भी करता है.

मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व न केवल बाघों के लिए बल्कि पर्यटन के लिए भी आकर्षण का केंद्र बने हैं. 2024-25 के दौरान करीब 10 से 30 हजार तक विदेशी सैलानी एमपी के जंगलों की सैर कर चुके हैं. इनकी बढ़ती संख्या से प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिली है.

1 अक्टूबर से प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिए गए हैं. अब कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना और सतपुड़ा जैसे रिजर्व में बाघों की दहाड़ एक बार फिर जंगलों में गूंज रही है. अब बाघों के संरक्षण और पर्यटन दोनों में मध्य प्रदेश देश ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन चुका है.