Last Video: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में दूषित कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ ने 20 मासूम बच्चों की जान ले ली. यह सिरप, जो खांसी के नाम पर जहर साबित हुआ, तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी ने बनाया था. जांच में सिरप में 48.6% डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया, जो गाड़ियों के ब्रेक फ्लूइड में इस्तेमाल होने वाला घातक रसायन है. यह बच्चों की किडनी फेल कर देता है. आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन? डॉक्टर प्रवीण सोनी ने 10 साल से 100 से ज्यादा बच्चों को यह सिरप दिया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया. कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज हुई, लाइसेंस निलंबित. लेकिन सवाल वही है – क्या अधिकारियों की लापरवाही ने ये जानें लीं? न्यूज 18 के पास मौत से पहले के वे दिल दहला देने वाले वीडियो हैं. घरों के आंगनों में बच्चे चहल-पहल करते, किलकारियां भरते नजर आते हैं. मां-बाप की गोद में खेलते, हंसते-खेलते वे मासूम. लेकिन आज वे आंगन सूने पड़े हैं. किलकारियां गुम हैं, सिर्फ माता-पिता के आंसू टपक रहे हैं. बैतूल के कैलाश यादव ने बेटे कबीर के इलाज के लिए जमीन गिरवी रखी, चार अस्पताल घूमे, लेकिन 8 सितंबर को सिरप ने उसकी जान छीन ली. ऐसे कितने परिवार बर्बाद?. यह पहला मामला नहीं. 2022-23 में गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में भारतीय कफ सिरप से 300 बच्चों की मौत हुई. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी किया. केंद्र ने सभी राज्यों को सतर्क किया, लेकिन सिस्टम सोया रहा. क्या यह लापरवाही का नतीजा नहीं? सरकार ने SIT गठित की, सिरप पर बैन लगाया, लेकिन देर हो चुकी. माता-पिता चीख रहे हैं – ये कैसा सिस्टम है, जो बच्चों को सुरक्षा नहीं दे पाया? अब न्याय की बारी है, वरना और मासूमों का खून बहेगा.