धार नगरपालिका में बुधवार को एक साधारण परिषद सम्मेलन हुआ, जिसमें कुल 27 एजेंडा बिंदुओं पर चर्चा हुई। बैठक की शुरुआत हंगामेदार रही, जब नेता प्रतिपक्ष करीम कुरैशी ने कई गंभीर आरोप लगाए और पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए।
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कुरैशी ने आरोप लगाया कि पिछले सम्मेलन में हर महीने बैठक बुलाने पर सहमति बनी थी, लेकिन छह से आठ महीने बाद यह बैठक आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर तो लिए जाते हैं, लेकिन प्रत्येक प्रस्ताव पर पार्षदों की सहमति या असहमति दर्ज नहीं की जाती। इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बैठक के बाद प्रस्तावों को बदल दिया जाता है और जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती।
इस पर सीएमओ विश्वनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि उन्हें पदभार संभाले चार महीने हुए हैं और यह उनकी मौजूदगी में पहला सम्मेलन है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नियमों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। इसके बाद बैठक की कार्यवाही शुरू हुई।
बैठक में पार्षदों ने शहर के विभिन्न स्थानों पर समाज सुधारकों और क्रांतिनायकों की प्रतिमाओं की स्थापना पर चर्चा की। ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, संत रविदास, टंट्या मामा, पूंजा भील और माता शबरी की प्रतिमाओं की स्थापना के लिए सहमति बनी। इसके लिए स्थान चयन और संस्कृति मंत्रालय से अनुमति लेने की प्रक्रिया पूरी करने पर निर्णय लिया गया।
साधारण परिषद में स्टेडियम निर्माण, नवीन फायर स्टेशन, भगोरिया पर्व की व्यवस्थाओं और जनजातीय समुदाय के लिए सामुदायिक भवन निर्माण पर भी पार्षदों ने सहमति दी। तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार और जुर्माना वसूलने की कार्रवाई भी निकाय के माध्यम से करने पर सहमति बनी।
नगरपालिका के हक हस्तांतरण (नामांतरण) के प्रस्ताव पर विरोधाभास के चलते निर्णय लिया गया कि इसके लिए एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। टेंट सामग्री के वार्षिक ठेके में निविदाओं के मुद्दे पर भी बैठक में निर्णय लिया गया।
बैठक के बाद कांग्रेस पार्षदों ने प्रेस रिलीज जारी कर कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई। उन्होंने हुड़को कॉलोनी के पीपीपी मॉडल, मूर्ति स्थापनाओं में संस्कृति मंत्रालय की भूमिका, शारदेय नवरात्र मेले में व्यय स्वीकृति और विभिन्न प्रकार की सामग्री क्रय की न्यूनतम दरों पर आपत्ति दर्ज कराई।