Exclusive: MP कफ सिरप कांड में इतनी गलतियां, लगातार मौतें…फिर भी सामान्य डाक से भेजे सैंपल, 17 बोतलें मिसिंग

Exclusive: MP कफ सिरप कांड में इतनी गलतियां, लगातार मौतें…फिर भी सामान्य डाक से भेजे सैंपल, 17 बोतलें मिसिंग


मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में जहरीले कफ सिरप के सेवन से अब तक 20 मासूम बच्चों की जान जा चुकी है. तमिलनाडु की श्रेसन फार्मास्यूटिकल कंपनी के कोल्ड्रिफ सिरप में 46.2 प्रतिशत डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया, जो स्याही और पेंट में इस्तेमाल होने वाला घातक केमिकल है. यह किडनी फेलियर का कारण बनता है.

न्यूज 18 इंडिया के विशेष खुलासे में राज्य ड्रग कंट्रोलर दिनेश श्रीवास्तव ने भोपाल में हमारे संवाददाता मनोज शर्मा को दिए इंटरव्यू में सरकारी लापरवाही की पोल खोली है. उन्होंने माना कि सैंपल साधारण डाक से भेजे गए, ट्रैकिंग नहीं हुई और लैब क्षमता की कमी से जांच में महीनों लगेंगे. कहा, हम दिन-रात काम कर रहे हैं.

अभी तक तीन कंपनियों के सैंपल अमानक
घटना की शुरुआत 4 सितंबर से हुई, जब छिंदवाड़ा के परासिया में पहली मौत दर्ज हुई. 29 सितंबर तक 10 बच्चों की जान चली गई, लेकिन सैंपल साधारण रजिस्टर्ड डाक से भोपाल भेजे गए. श्रीवास्तव ने कहा, “ये घटना बेहद दुखद है. राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है. क्षेत्र से 19 सैंपल आए थे, जिन्हें प्राथमिकता से टेस्ट किया. तीन सैंपल अमानक पाए गए और तुरंत बैन कर दिया. अभी तक तीन कंपनियों के सैंपल अमानक मिले हैं कोल्ड्रिफ, नेक्स्ट्रो-डीएस, रीलिफ और रेस्पिफ्रेश टीआर. इन पर पाबंदी लगा दी गई. तमिलनाडु व गुजरात को पत्र लिखा गया है, जहां से एडवायजरी जारी हुई कि इन कंपनियों ने कहां-कितनी बोतलें सप्लाई कीं.”

लैब व्यवस्था पर गंभीर सवाल
श्रीवास्तव ने लैब व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए. “राज्य में तीन लैब हैं, जिनकी सालाना क्षमता 6000 सैंपल की है. अभी 5500 सैंपल पेंडिंग हैं. एक सैंपल की जांच में दो दिन लगते हैं, लेकिन पूरे सैंपल की रिपोर्ट आने में 8-10 महीने लगेंगे. कई सालों से यह समस्या है. समीक्षा में क्षमता कम पाई गई, इसे बढ़ाने की जरूरत है. हम टॉप प्रायोरिटी पर काम कर रहे हैं, दिन-रात मेहनत हो रही है.”

17 मिसिंग बोतलों को ढूंढ रहे
उन्होंने मिसिंग बोतलों पर बताया, “जहरीली सिरप की 156 बोतलें बंटीं. हर जिले में विशेष दल बने हैं. स्टॉकिस्ट से दुकानदार तक, 134 बोतलों का रिकॉर्ड मिल चुका है. 17 बिकी बोतलों को ट्रेस करने के लिए टीमें घर-घर जा रही हैं. प्रचार-प्रसार भी कर रहे, लोग खुद सौंप रहे हैं.”

विशेष वाहन से भेजना चाहिए था सैंपल
लापरवाही पर श्रीवास्तव ने कहा, “26-28 सितंबर को छिंदवाड़ा में संयुक्त दल ने सैंपल लिए. ये सामान्य डाक से आए. तात्कालिक हालात में विशेष वाहन से भेजना चाहिए था. प्रथम दृष्टया लापरवाही सामने आई, इसलिए सरकार ने तत्काल दंडात्मक कार्रवाई की. संबंधितों को निलंबित किया गया. इमरजेंसी हालात नकारे नहीं जा सकते.”

नॉन फार्मास्यूटिकल केमिकल से बना था सिरप
कोल्ड्रिफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में तमिलनाडु ड्रग कंट्रोलर की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. जांच में सामने आया कि इस सिरप का निर्माण नॉन फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल से किया गया था. कंपनी ने 100 किलो प्रोपलीन ग्लायकोल खरीदा, लेकिन उसका कोई बिल नहीं मिला. आशंका है कि यही रसायन सिरप में मिलाया गया था. वहीं, एमपी स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. लगातार मौतें होने के बावजूद 29 सितंबर को ही सैंपल भेजे गए, वह भी सामान्य डाक से. तीन दिन में सैंपल भोपाल पहुंचे, तब तक तमिलनाडु सरकार सिरप को बैन कर चुकी थी.



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