पेट या आंत से जुड़ी कैंसर की बीमारी अक्सर देर से पकड़ में आती है और मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे तक भटकना पड़ता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। एम्स भोपाल ने इन मरीजों के लिए बड़ी राहत दी है। संस्थान में ‘गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) ऑन्कोसर्जरी स्पेशल क्
.
यह क्लीनिक एम्स के ओपीडी ब्लॉक के कक्ष संख्या 110 और 111 में संचालित होती है। यहां भोजन नली, पेट, छोटी और बड़ी आंत, मलाशय, लिवर, पित्ताशय और अग्न्याशय जैसे पाचन तंत्र से जुड़े कैंसर के मरीजों को विशेषज्ञ सलाह और उपचार दिया जा रहा है। बता दें कि एम्स में पाचन तंत्र से जुड़े कैंसर के 150 से 200 मरीज रोज पहुंचते हैं।
इस पहल का नेतृत्व सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष और अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. विशाल गुप्ता तथा सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रवेश माथुर कर रहे हैं। दोनों विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर का उपचार तभी सफल होता है जब मरीज समय पर इलाज कराए और फॉलो-अप जारी रखे।
डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि कैंसर से लड़ाई में नियमित जांच और फॉलो-अप सबसे अहम हथियार हैं। देर करने से इलाज के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। एम्स भोपाल की यह स्पेशल क्लीनिक न केवल नए मरीजों के लिए है, बल्कि उन मरीजों के लिए भी है जो पहले से इलाज करवा रहे हैं और नियमित फॉलो-अप की आवश्यकता रखते हैं।
सर्जन से लेकर काउंसलर की सुविधा एक ही जगह
यहां मरीजों को बहु-विषयक टीम (मल्टी-डिसिप्लिनरी केयर) द्वारा एकीकृत इलाज मिलता है- यानी सर्जन, ऑन्कोलॉजिस्ट, न्यूट्रिशनिस्ट और काउंसलर सब एक साथ मिलकर मरीज के लिए सर्वोत्तम उपचार योजना बनाते हैं। एम्स प्रशासन का कहना है कि इस पहल का मकसद प्रदेश के मरीजों को विश्वस्तरीय कैंसर देखभाल उपलब्ध कराना है।
इससे न केवल भोपाल, बल्कि आसपास के जिलों से आने वाले मरीजों को भी लाभ मिल रहा है। पहले से इलाज करा चुके कई मरीजों ने बताया कि इस क्लिनिक ने उनके इलाज को सरल और सुलभ बना दिया है। एम्स भोपाल का यह प्रयास प्रदेश में सुपर-स्पेशलिटी चिकित्सा सेवाओं के विस्तार की दिशा में एक और मजबूत कदम है। अब पाचन तंत्र के कैंसर से जूझ रहे मरीजों को विशेषज्ञ उपचार के लिए बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा- उनकी उम्मीद अब भोपाल में ही जाग उठी है।