एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा चूहों के कुतरने से नवजातों की मौत के बाद की गई कार्रवाई में निलंबित किए गए असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट डॉ. मुकेश जायसवाल को एक महीने बाद ही अस्पताल की दवा और चिकित्सा सामग्री खरीदी समिति का सदस्य बना दिया गया। दो अलग-अलग
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अब डॉ. जायसवाल का नाम चिकित्सा सामग्री खरीदी समिति के सदस्य से हटा दिया है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा चूहों के कुतरने से नवजातों की मौत हो गई थी।
मामले में पहला आदेश 3 सितंबर 2025 का है, जिसे एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने जारी किया था। इसमें डॉ. जायसवाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया था। फिर 1 अक्टूबर को एमवाय अस्पताल की ओर से जारी आदेश में उन्हें दवा और चिकित्सा सामग्री खरीदी समिति में शामिल कर लिया गया। दोनों आदेशों की तिथियों से स्पष्ट था कि निलंबन की अवधि समाप्त हुए बिना ही अधिकारी को नई जिम्मेदारी सौंप दी गई। प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना था कि यह स्थिति सेवा नियमों और पारदर्शिता पर सवाल उठाती है।
मामले पर जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने सवाल उठाया था, यह कदम एमजीएम प्रशासन की कार्रवाई की गंभीरता पर संदेह पैदा करता है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग की थी कि ऐसे मामलों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
टाइपिंग त्रुटि का दिया हवाला
डॉ. बसंत निंगवाल (सुपरिटेंडेंट) ने गुरुवार को सफाई दी कि डॉ. जायसवाल का नाम गलती से आदेश में शामिल हो गया था। वह पुरानी समिति के सदस्य थे, इसलिए उनका नाम टाइपिंग त्रुटि के कारण जारी आदेश में चला गया। आदेश को संशोधित कर दिया गया है और डॉ. जायसवाल अभी भी निलंबित हैं।
कांग्रेस का आरोप: दोषियों को बचाया जा रहा
उधर कांग्रेस के पार्टी प्रवक्ता राजेश चौकसे, गिरधर नागर और अमित चौरसिया ने आरोप लगाया कि एमजीएम प्रशासन दोषियों को बचाने और यहां तक कि उन्हें पुरस्कृत करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने मांग की कि “चूहे कांड” की जांच रिपोर्ट तत्काल सार्वजनिक की जाए और डीन, अधीक्षक, संबंधित अधिकारियों व एजाइल कंपनी पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाएं।
कांग्रेस ने पीड़ित नवजात की मां को न्याय व मुआवजा देने के साथ ही उन मंत्रियों की जवाबदेही तय करने की मांग की, जो कथित रूप से दोषियों को संरक्षण दे रहे हैं।
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इंदौर के एमवाय अस्पताल के NICU में भर्ती बच्चों को चूहों ने काटा था।
हम अपनी बेटी को बहुत अच्छी नीयत से एमवाय अस्पताल ले गए थे। हम उम्मीद कर रहे थे कि वो अस्पताल से ठीक होकर घर आएगी, लेकिन उसे बहुत दर्दनाक मौत मिली है। पूरी खबर पढ़ें …