MP Politics Breaking News: मध्य प्रदेश की राजनीति में एक अनोखी घटना ने सबको चौंका दिया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, जो विपक्ष के नेता उमंग सिंघार के धुर विरोधी माने जाते हैं, अचानक सिंघार के बंगले पर पहुंच गए. दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में लंबी बातचीत हुई, जो पार्टी के भीतर की गुटबाजी को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. यह खबर राज्य की सियासत में हलचल मचा रही है, क्योंकि दोनों नेताओं के बीच पुरानी दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है.
दोनों नेताओं के बीच तनाव की जड़ें गहरी
2019 में जब कमल नाथ सरकार बनी, तब उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर शराब माफिया को संरक्षण देने और सरकार को अस्थिर करने के आरोप लगाए थे. सिंघार ने दिग्विजय को ‘ब्लैकमेलर’ तक कह दिया था. इसके जवाब में दिग्विजय के समर्थकों ने सिंघार को ‘बीजेपी एजेंट’ बता दिया. 2022 में भी सिंघार के एक ट्वीट ने विवाद खड़ा कर दिया, जब उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम लेते हुए दिग्विजय पर निशाना साधा. हाल ही में लोकसभा चुनावों के दौरान भी दोनों गुटों में खींचतान देखी गई. 2023 के विधानसभा चुनाव हार के बाद कांग्रेस में गुटबाजी और तेज हो गई, जहां सिंघार और दिग्विजय दोनों ही अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यह मुलाकात जितेंद्र सिंह की मध्य प्रदेश प्रभारी बनने के बाद की रणनीति का हिस्सा है. “कांग्रेस को 2028 के विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत होना होगा. हाईकमान ने साफ कहा है कि गुटबाजी बंद हो. दिग्विजय और सिंघार जैसे बड़े नेता अगर हाथ मिला लें, तो पार्टी का आधार मजबूत होगा.” हाल के दिनों में कांग्रेस के पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी (पीएसी) की बैठकें भी गुटबाजी से प्रभावित रहीं. नवंबर 2024 में हुई पीएसी की पहली बैठक में दिग्विजय, कमल नाथ और सिंघार तीनों अनुपस्थित थे, जिससे सवाल उठे थे.
मुलाकात के क्या हैं मायने?
यह मुलाकात मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है. दिग्विजय सिंह, जो राजगढ़ से सांसद हैं, पार्टी के पुराने गढ़ को मजबूत करने में माहिर हैं. वहीं, उमंग सिंघार, जो मंदसौर से विधायक हैं, युवा ब्राह्मण चेहरे के रूप में उभर रहे हैं. अगर दोनों के बीच सुलह हो जाती है, तो कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा मजबूत होगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह स्थायी सुलह है या सिर्फ अस्थायी? भोपाल की सियासी गलियों में चर्चाएं जोरों पर हैं. फिलहाल, दोनों नेताओं ने कोई बयान नहीं दिया, लेकिन आने वाले दिनों में पार्टी की रणनीति साफ हो जाएगी.