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Coldrif Syrup Deaths: दवाइयों के सैंपल जांच के लिए साल 2023 में भेजे जाते हैं. उनकी रिपोर्ट दो साल बाद 2025 में आती है. तब तक दवाईयां बट भी जाती है और लोग उसका सेवन भी कर लेते हैं. आइए पढ़ते हैं पूरी रिपोर्ट.
श्रीसन कंपनी की कोल्ड्रिफ नाम की दवा में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकोल नाम का जहरीला केमिकल मिला था. इससे छिंदवाड़ा में 18 से ज्यादा बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई. ऐसे में देश भर में हड़कंप मच गया. अब श्रीसन कंपनी की कोल्ड्रिफ के बिकने पर मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में बिक्री पर बैन लग गया. वहीं, बालाघाट में भी स्वास्थ्य विभाग का अमला एक्टिव हुआ और श्रीसन कंपनी की 16 दवाइयों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया है. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि जिन दवाइयों के सैंपल लिए गए है उसकी जांच रिपोर्ट कब आएगी. दरअसल, बालाघाट में पहले भी अमानक दवाइयों का मामला सामने आया है. गनीमत ये रही कि इससे किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है.
स्वास्थ्य विभाग कितना लापरवाह है, इस बात को दो मामले उजागर करते हैं. जो दवाइयों के सैंपल जांच के लिए साल 2023 में भेजे जाते हैं. उनकी रिपोर्ट दो साल बाद 2025 में आती है. तब तक दवाईयां बट भी जाती है और लोग उसका सेवन भी कर लेते हैं. गनीमत ये है कि इनसे किसी को कोई नुकसान नहीं देखने मिला.
केस -1
शासकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला से आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बच्चों को बुखार में दी जा रही पैरासिटामॉल सिरप गुणवत्ता जांच में फेल हुई थी. हैरान करने वाली बात ये है कि अक्टूबर 2023 में चार हजार बोतल जिले में आई थी. इसका बैच नंबर 4179 था. इसके सैंपल जांच के लिए दिसंबर 2023 में ही भेजा गया. लेकिन रिपोर्ट आने से पहले दिसंबर 2024 तक पूरा स्टॉक ही बांट दिया गया था. वहीं, इसकी जांच रिपोर्ट करीब ढेड़ साल बाद 25 जून 2025 को आई थी. जांच में सामने आया है कि इस सिरप में पैरासिटामॉल पूरी तरह से घुल नहीं रहा था जिसका सीधा असर दवा की प्रभावशीलता पर पड़ा. इसका मतलब ये है कि बच्चों को दी जा रही ये दवा बुखार के इलाज में बेअसर साबित हो रही थी.
केस -2
एक ऐसा ही मामला बालाघाट जिले में देखने को मिला था. इसमें 8 मार्च 2024 को एक लाख मल्टी विटामिन की मांग की थी. 21 मई 2024 को बैच नंबर सीएचटी-40426 की दवाएं जिले को मिली थी. दवाओं की एक्सपाइरी सितंबर 2025 थी. ड्रग इंस्पेक्टर स्वप्निल जैन ने 2 सितंबर 2024 को वारासिवनी सिविल अस्पताल से रैंडम सैंपल लिया था. शासकीय औषधि प्रयोगशाला से 14 मई 2025 को आई रिपोर्ट में इन दवाओं को अमानक घोषित किया गया. दवाएं कोटेक हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, देहरादून से आई थीं. इसमें एक लाख कैप्सूल मरीजों में बांटे गए थे. हालांकि, किसी को नुकसान नहीं होने से मामला रफा दफा हो गया.
इतना होने के बाद भी कार्रवाई का इंतजार
इस मामले में जब सीएमएचओ डॉक्टर परेश उपलव से बातचीत की गई, तब उन्होंने गोलमोल जवाब दिया. उनका कहना है कि दवाओं के अमानक आने की रिपोर्ट के बाद त्वरित कार्रवाई की गई. कारपोरेशन से पत्राचार करने की बात कही. लेकिन कार्रवाई कहां तक बढ़ी इसकी जानकारी सीएमएचओ को भी नहीं है. रिपोर्ट के देरी से आने के सवाल पर जवाब दिया कि इसकी सही जानकारी डीआई यानी ड्रग इंस्पेक्टर साहब ही दे सकेंगे. यानी की जो दवाईयां आम लोगों तक पहुंच रही है उसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है.
बिक्री पर रोक, सैंपल जांच के लिए भेजे
अब स्वास्थ्य विभाग ने श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी की 16 किस्म की दावईयों के सैंपल इकट्टा कर जांच के लिए लैब भेजे गए हैं. वहीं, संबधित कंपनी की दवाईयों की बिक्री पर बैन लगाया गया है.
Shweta Singh, currently working with News18MPCG (Digital), has been crafting impactful stories in digital journalism for more than two years. From hyperlocal issues to politics, crime, astrology, and lifestyle,…और पढ़ें
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