Agri Tips: अगर आप खेती से अच्छा मुनाफा कमाने का सोच रहे हैं, तो गाजर की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है. यह एक ऐसी फसल है जो कम समय में तैयार हो जाती है. बाजार में इसकी मांग सालभर बनी रहती है. किसानों के अनुसार, गाजर की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है. खासकर अक्टूबर से दिसंबर तक गाजर की बुवाई का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है.
खेती की तैयारी
गाजर की फसल बोने से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए. मिट्टी को नरम करने के लिए 2-3 बार जुताई और पाटा लगाएं. इसके बाद एक एकड़ खेत में लगभग 6-8 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट डालना लाभदायक रहता है. बीज बुवाई से पहले खेत को समतल कर लें और 20 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारें बनाएं.
बीज बुवाई का सही तरीका
गाजर की बुवाई अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है. प्रति एकड़ 4 से 6 किलो बीज की आवश्यकता होती है. बीज को मिट्टी में आधा से एक इंच गहराई तक डालें और हल्की सिंचाई करें. अगर आप हाइब्रिड किस्में जैसे पूसा रुबी, पूसा केसरी या नारंगी लंबी अपनाते हैं, तो आपको अधिक पैदावार मिल सकती है.
सिंचाई और देखभाल
पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए और फिर हर 7-10 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए. ध्यान रहे कि खेत में पानी का जमाव न हो, वरना जड़ें सड़ सकती हैं. खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई जरूरी है. जैविक कीटनाशक या नीम का घोल छिड़कने से फसल सुरक्षित रहती है.
उर्वरक प्रबंधन
गाजर की फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की सही मात्रा देना जरूरी है. एक एकड़ खेत के लिए 40 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश उपयुक्त मानी जाती है. आधी मात्रा बुवाई के समय और बाकी आधी फसल की 25 दिन बाद सिंचाई के साथ डालें.
कटाई और पैदावार
गाजर की फसल सामान्यतः 75 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है. जब पत्ते पीले पड़ने लगें और जड़ का रंग गहरा नारंगी हो जाए, तो समझिए फसल तैयार है. कटाई के बाद गाजरों को पानी से धोकर साफ करें और छांव में सुखाएं. प्रति एकड़ औसतन 250 से 300 क्विंटल गाजर की पैदावार मिलती है. यदि बाजार भाव 10 से 15 रुपये प्रति किलो तक रहता है, तो एक एकड़ से किसान आसानी से 2.5 से 3 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं.