Tiger Fish: मछली नहीं… लोग इसे कहते हैं “पानी का टाइगर”, खूबसूरती के लिए मशहूर है MP की राजकीय fish

Tiger Fish: मछली नहीं… लोग इसे कहते हैं “पानी का टाइगर”, खूबसूरती के लिए मशहूर है MP की राजकीय fish


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MP State Fish: मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी में एक ऐसी मछली है जिसे “पानी का टाइगर” कहा जाता है. यह मछली अपनी तेज रफ्तार, ताकत और खूबसूरती के लिए मशहूर है.

नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी कहा जाता है. यह नदी न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है बल्कि लाखों लोगों के जीवन का आधार भी है. इस नदी का जल प्रदेश के कई जिलों के खेतों को सींचता है, जिससे कृषि को नई ऊर्जा मिलती है. नर्मदा का हर मोड़, हर घाट, आस्था और आजीविका दोनों का संगम है.

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नर्मदा नदी मध्य प्रदेश से निकलकर महाराष्ट्र और गुजरात तक बहती है. यह तीनों राज्यों की सीमाओं को जोड़ती है और लाखों लोगों को जल, भोजन और रोजगार देती है. इसके किनारे बसे शहर जैसे जबलपुर, होशंगाबाद, ओंकारेश्वर और महेश्वर अपनी संस्कृति और धार्मिकता के लिए प्रसिद्ध हैं.

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नर्मदा नदी में सैकड़ों प्रजातियों के जीव जंतु और मछलियां पाई जाती हैं. ये मछलियां नदी के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाती हैं. स्थानीय मछुआरों की आजीविका भी इन्हीं पर निर्भर करती है. लेकिन इनमें से एक मछली ऐसी है जो बाकी सब से अलग और खास है. इसका नाम महाशीर है, जिसे गोल्डन फिश भी कहते है.

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इसका शरीर लंबा और मजबूत होता है, और यह बड़ी तेज गति से पानी में तैरती है. इसकी ताकत और फुर्ती देखकर बड़े-बड़े मछुआरे भी दंग रह जाते हैं. इसलिए महाशीर मछली को ‘पानी का टाइगर’ कहा जाता है. जब यह मछली जाल में फंसती है तो जंगल के बाघ की तरह अपनी पूरी ताकत से निकलने की कोशिश करती है.

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महाशीर को स्थानीय भाषा में ‘बांड़स’ कहा जाता है. नर्मदा किनारे बसे गांवों में यह मछली न केवल भोजन का स्रोत है बल्कि आस्था का प्रतीक भी है. कई जगहों पर लोग इसे देवता का रूप मानकर पूजा करते हैं. कुछ विशेष अवसरों पर महाशीर का प्रतीकात्मक श्रृंगार भी किया जाता है.

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महाशीर को मध्य प्रदेश की राजकीय मछली घोषित किया गया है. इसका उद्देश्य इस दुर्लभ प्रजाति की रक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देना है. सरकार और वन विभाग समय-समय पर नर्मदा में संरक्षण अभियान भी चलाते हैं ताकि इस पानी की शेरनी की आबादी बनी रहे.

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कभी नर्मदा नदी में महाशीर मछली की भरमार हुआ करती थी. लेकिन अब इसकी संख्या तेजी से घट रही है. नदी में प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ना और बांधों के निर्माण से इसका प्राकृतिक आवास प्रभावित हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसे नहीं बचाया गया तो यह प्रजाति संकट में पड़ सकती है.

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महाशीर को पकड़ना बेहद कठिन होता है. यह मछली इतनी शक्तिशाली होती है कि जाल फाड़कर भाग जाती है. कई अनुभवी मछुआरों का कहना है कि जब तक पानी में महाशीर है, तब तक नर्मदा जीवंत है. इसे पकड़ने की कोशिश करना ऐसा ही है जैसे जंगल में बाघ को पकड़ना. इसकी इसी खासियत की वजह महाशीर को पानी का टाइगर कहते हैं.

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मछली नहीं… लोग इसे कहते हैं “पानी का टाइगर”, खूबसूरती के लिए मशहूर



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