चाय या ग्रीन टी नहीं…! सेहत का असली दोस्त है यह औषधियों से बनी हर्बल टी, गांव की मिट्टी से सेहत की खुशबू

चाय या ग्रीन टी नहीं…! सेहत का असली दोस्त है यह औषधियों से बनी हर्बल टी, गांव की मिट्टी से सेहत की खुशबू


खंडवा. मध्य प्रदेश के खंडवा जिले का एक छोटा सा गांव. जलकुआं, आज देशभर में अपनी अनोखी पहचान बना चुका है. कभी घर की चारदीवारी में सीमित रहने वाली इस गांव की आदिवासी महिलाएं अब देश-विदेश में “औषधीय हर्बल टी” के जरिए अपनी मेहनत और हुनर का परचम लहरा रही हैं. इन महिलाओं ने प्राकृतिक औषधियों के साथ हर्बल चाय बनाने का ऐसा रास्ता चुना है, जो आज न केवल उनकी आजीविका का साधन बन चुका है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य सुधार में भी अहम भूमिका निभा रहा है.

यह कहानी है नमामि आजीविका फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की, जिसे जलकुआं गांव की सैकड़ों महिलाएं मिलकर चला रही हैं. इस कंपनी की डायरेक्टर कला बामने बताती हैं कि वे अपनी चाय पूरी तरह प्राकृतिक तरीकों से तैयार करती हैं. इसके लिए जो औषधीय पौधे और फूल इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें महिलाएं खुद अपने खेतों में उगाती हैं. यही वजह है कि उनकी हर्बल चाय 100% नेचुरल और केमिकल-फ्री होती है. इन महिलाओं द्वारा तैयार की जाने वाली हर्बल चाय के चार प्रमुख प्रकार हैं- कुसुम टी, लेमन टी, हर्बल टी और पिक टी. हर चाय की अपनी अलग खुशबू और औषधीय गुण हैं. उदाहरण के लिए-
कुसुम टी शरीर की थकान को दूर करती है और त्वचा को चमकदार बनाती है.
लेमन टी पाचन तंत्र को मजबूत करती है और डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करती है.
हर्बल टी इम्यूनिटी बढ़ाती है और सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों से बचाव करती है.
वहीं पिक टी मानसिक तनाव को कम कर शरीर में ताजगी भरती है.

इन चायों में इस्तेमाल होने वाले तत्व जैसे- कुसुम के फूल, नींबू, तुलसी, अदरक, और अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां- महिलाएं खुद ही तैयार करती हैं. इससे उत्पादन की लागत काफी कम रहती है, लेकिन क्वालिटी उच्च स्तर की होती है. कला बामने बताती हैं कि “हमारे सभी उत्पाद खेतों में उगाई गई औषधीय फसलों से बनते हैं. यह पूरी तरह बिना किसी केमिकल के तैयार की जाती है. जो भी इस चाय को पीता है, उसे न केवल स्वाद बल्कि सेहत भी मिलती है.”

आज यह हर्बल टी सिर्फ खंडवा जिले तक सीमित नहीं रही. इसकी लोकप्रियता अब बैंगलुरू, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता और यहां तक कि असम तक फैल चुकी है. इन शहरों में लोग इस चाय को पीकर न केवल अपनी सेहत सुधार रहे हैं, बल्कि स्थानीय महिला उद्यमिता की मिसाल को भी सराह रहे हैं.

चाय बनाने की प्रक्रिया भी काफी मेहनत भरी होती है. पहले खेतों में औषधीय पौधों की खेती की जाती है, फिर उन्हें सुखाकर उनकी पत्तियों और फूलों को प्रोसेस किया जाता है. उसके बाद विशेष तकनीक से इन्हें मिश्रित कर तैयार किया जाता है, जिससे इसका प्राकृतिक स्वाद और औषधीय गुण बरकरार रहते हैं.

डॉक्टरों के मुताबिक, इस चाय के सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है. शरीर में एनर्जी बनी रहती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यही कारण है कि अब कई हेल्थ एक्सपर्ट भी इस गांव की हर्बल टी को अपनाने की सलाह दे रहे हैं.

जलकुआं की महिलाओं ने साबित कर दिया कि अगर हौसला मजबूत हो, तो गांव की मिट्टी में भी दुनिया बदलने की ताकत होती है. उनकी हर्बल टी न सिर्फ स्वाद और सेहत का संगम है, बल्कि यह स्वावलंबन और महिला सशक्तिकरण की एक जीवंत मिसाल भी है. यह कहानी बताती है कि जहां चाह वहां राह और उस राह से निकल सकती है सेहत और सफलता दोनों की खुशबू.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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