हीरो से जीरो बनने की कहानी है हर्षित, पर्थ से शुरु हुआ सफर फिर पहुंचेगा पर्थ

हीरो से जीरो बनने की कहानी है हर्षित, पर्थ से शुरु हुआ सफर फिर पहुंचेगा पर्थ


नई दिल्ली. दिसंबर 2024 में पर्थ के बाद हर्षित राणा लाखों भारतीयों के सबसे पसंदीदा तेज गेंदबाज थे उनकी आक्रामकता, हिट-द-डेक गेंदबाजी, पहली पारी में ट्रैविस हेड को आउट करने वाली गेंद उनके चयन को एक मास्टरस्ट्रोक माना गया था. अब, हर्षित मुश्किल में हैं, ज़ाहिर है, गौतम गंभीर के केकेआर कनेक्शन के आधार पर उन्हें “कोटा” में चुना गया है. वह सबसे ज़्यादा आलोचनाओं का शिकार हैं, कई मीम्स और गालियों का विषय हैं. सोशल मीडिया देखिए, आपको समझ आ जाएगा कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ.

यह हर्षित का बचाव नहीं है पर उस गाली-गलौज और ट्रोलिंग पर एक सीमा खींचता हूँ जिसका शिकार वह हो रहा है. वह खुद टीम में नहीं चुन रहा है वह खुद फ़ैसले नहीं लेता, फिर भी हर स्तर पर उसका मज़ाक उड़ाया जा रहा है और उसे गालियाँ दी जा रही हैं.यहीं पर भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को परिपक्वता दिखाने की ज़रूरत है. न तो राणा पर्थ के बाद कोई बेहतरीन नौसिखिया खिलाड़ी था, न ही लाल गेंद से डेब्यू करने के एक साल के अंदर ही वह बेकार साबित हुआ है. सच तो यह है कि उसके पिछले कुछ महीने खराब रहे हैं लेकिन फिर, कौन सा खिलाड़ी बुरे दौर से नहीं गुज़रा है? हर्षित ने इससे पहले कितनी बार ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया है? ऐसा कैसे है कि जब उसे विदेशी परिस्थितियों का बहुत कम या बिल्कुल भी अनुभव नहीं है, तो वह असफल क्यों नहीं हो सकता?

हर्षित राणा क्यों हैं टॉरगेट

भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों में धैर्य की कमी है, और हर्षित राणा का मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है. एक युवा खिलाड़ी जिसने अभी-अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा है और जिसका डेब्यू अच्छा रहा है, पिछले कुछ समय से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है और उसे कड़ी टक्कर मिल रही है. अचानक, प्रसिद्ध कृष्णा नए मसीहा बन गए हैं लेकिन जब वह असफल होंगे, तो किसी और के लिए आवाज़ उठेगी. असल बात यह है कि हर्षित का एशिया कप खराब रहा. पथुम निसांका की गेंदों ने उन्हें मैदान के हर तरफ़ से हिट किया और वे लय में नहीं दिखे लेकिन महान जसप्रीत बुमराह ने भी एक मैच में 45 रन दिए थे. खेल ऐसा ही है और ऐसा ही रहेगा. हर्षित के पास कुछ ऐसे हुनर ​​हैं जो चयनकर्ताओं को लगता है कि भारत के लिए मददगार साबित हो सकते हैं. वे भारी गेंदें फेंक सकते हैं और ज़ोरदार पिच पर हिट कर सकते हैं. वे लंबे हैं और उछाल हासिल कर सकते हैं. बल्ले से भी वे कोई कमज़ोर नहीं हैं, और निचले क्रम में कभी-कभार बड़े शॉट खेल सकते हैं. हर तेज़ गेंदबाज़ को तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लगता है, और हर्षित भी इससे अलग नहीं हैं पर्थ में उनका प्रभाव पड़ा था, और भविष्य में भी पड़ेगा.

टीम मैनेजमेंट का रोल

शायद यहीं पर गंभीर, मोर्ने मोर्कल और शुभमन गिल को राणा से बात करनी चाहिए उनका समर्थन करें और उन्हें आत्मविश्वास दें. उन्हें सोशल मीडिया से दूर रहने और मीम्स और गालियों से दूर रहने के लिए कहें. बाहरी दुनिया से खुद को अलग रखें और अपने काम पर ध्यान केंद्रित करें. इससे भी बेहतर, हर्षित इन सबके बाद एक बेहतर क्रिकेटर ज़रूर बनेंगे. हर्षित राणा इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण हो सकते हैं कि खिलाड़ी विपरीत चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और हाँ, यह भी तय है कि दौर भी बीत जाएगा.



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