दतिया में सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आई एक महिला मरीज को मेडीकल कॉलेज के सह प्राध्यापक डॉक्टर ने सरकारी पर्चे पर ही ब्रांडेड दवाएं लिख दीं। नतीजा, मरीज के परिजन को करीब 4,848 रुपए की महंगी दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ीं।
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सरकारी अस्पतालों में जनरिक दवा लिखने के निर्देश यह मामला तब उजागर हुआ जब मरीज के 29वीं बटालियन में पदस्थ पति ने दवा का बिल विभाग में पास कराने भेजा। जांच के लिए बिल जब सिविल सर्जन डॉ. केसी राठौर के पास पहुंचा तो उन्होंने पाया कि दवाएं बाजार की ब्रांडेड थीं, जबकि सरकारी अस्पतालों में जनरिक दवा लिखने के निर्देश पहले से लागू हैं।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. प्रवीण टैगोर ने 8 सितंबर को महिला को महंगी ब्रांडेड दवाएं लिखीं। जबकि शासन के साथ ही कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े भी साफ निर्देश दे चुके हैं कि सरकारी पर्ची पर केवल जनऔषधि या स्टॉक में उपलब्ध दवाएं ही लिखी जाएं।
डॉ. राठौर ने इस मामले में मेडिकल कॉलेज डीन को पत्र भेजकर कार्रवाई की अनुशंसा की है और पूरे मामले की जानकारी कलेक्टर, सीएमएचओ और क्षेत्रीय संचालक को भी दी है। उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त दवाएं हैं, बाजार से दवा लिखना पूरी तरह गलत है। कार्रवाई जरूरी है, ताकि मरीजों का भरोसा बना रहे।