तबला, कथक और सरोद की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध।
मैहर में ‘मैहर संस्कृति और संगीत कला धरोहर’ कार्यक्रम की सोलहवीं प्रस्तुति शुक्रवार शाम शासकीय संगीत महाविद्यालय परिसर में आयोजित की गई। संगीत सम्राट पद्म विभूषण उस्ताद अलाउद्दीन खां साहब की साधना भूमि मैहर शास्त्रीय संगीत की मधुर ध्वनियों से गूंज उठ
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कार्यक्रम का शुभारंभ मैहर विधायक श्रीकांत चतुर्वेदी के मुख्य आतिथ्य और जिला अध्यक्ष कमलेश सुहाने की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
हर महीने की पहली तारिख को किया जाता है आयोजन
यह आयोजन सामान्यतः प्रत्येक महीने की पहली तारीख को होता है, परंतु नवरात्रि और मैहर जिले के स्थापना दिवस के कारण इस बार इसे शुक्रवार को आयोजित किया गया। इस अवसर पर युवा कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी। कार्तिक शुक्ला ने तबला वादन किया, जबकि सतना की छाया भासनी ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया।
अनिल जायसवाल के सरोद वादन ने अलाउद्दीन खां घराने की परंपरा को दर्शाया और दर्शकों की सराहना प्राप्त की। कार्यक्रम में विद्यार्थियों की ओर से अनुपयोगी वस्तुओं से बनाई गई कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। यह प्रदर्शनी रचनात्मकता और पर्यावरण जागरूकता का प्रतीक बनी तथा सभी के लिए आकर्षण का केंद्र रही।

उद्देश्य नवोदित कलाकारों को मंच प्रदान करना
कार्यक्रम संयोजकों के अनुसार, ‘मैहर संस्कृति और संगीत कला धरोहर’ का उद्देश्य नवोदित कलाकारों को मंच प्रदान करना और मैहर की समृद्ध संगीत परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। इस आयोजन की शुरुआत 1 जुलाई 2024 को हुआ था और तब से हर महीने की पहली तारीख को निरंतर आयोजित किया जा रहा है।
इस प्रस्तुति में बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी, छात्र-छात्राएं और नगरवासी उपस्थित रहे। गणमान्य नागरिकों में सतीश मिश्रा, विश्वनाथ चौरसिया, कुलदीप तिवारी, अंबुज मिश्रा, राजललन मिश्रा, जयंत जैन, जितेश जैन, रामकुमार रजक, पवन तरम और कल्पना मिश्रा शामिल रहे।