रिंकू सिंह पाई-पाई को थे मोहताज…मसीहा बनकर आया ये शख्स

रिंकू सिंह पाई-पाई को थे मोहताज…मसीहा बनकर आया ये शख्स


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Rinku Singh recalls tough phase: रिंकू सिंह का बचपन बेहद गरीबी में बीता है. इस होनहार क्रिकेटर ने मुश्किल दिनों को याद किया है. रिंकू का कहना है कि आज वह जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, इसमें एक शख्स का अहम योगदान रहा है जिसे आज भी वो नहीं भूले हैं. रिंकू के लिए जो शख्स मसीहा बनकर आया उसका नाम मोहम्मद जीशान है जिसने उन्हें क्रिकेट से जुड़ी सभी चीजें उपलब्ध कराई जिसकी उन्हें जरूरत थी.

रिंकू सिंह ने मुश्किल दिनों को किया याद.

नई दिल्ली. रिंकू सिंह भारतीय क्रिकेट टीम में बतौर फिनिशर अपनी जगह बना चुके हैं.टी20 क्रिकेट में रिंकू का कोई सानी नहीं है.वह निर्भीक होकर बल्लेबाजी करते हैं और किसी भी परिस्थिति में घबराते नहीं हैं. रिंकू का बचपन बेहद गरीबी में बीता है. उनके पास क्रिकेट जैसे महंगे खेल को सीखने के लिए क्रिकेट की किट नहीं थी. वह बैट और बॉल नहीं खरीद सकते थे.यहां तक कि क्रिकेट की जर्सी खरीदने को भी उनके पास पैसे नहीं थे. फिर एक शख्स की एंट्री होती है और वह रिंकू के लिए मसीहा बनकर आता है. रिंकू को वो शख्स सारी चीजें दिलवाता है जो एक क्रिकेटर के लिए चाहिए होती हैं. रिंकू आज भी उस शख्स को भुले नहीं हैं. उन्होंने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि उनकी जिंदगी में एक शख्स ऐसा भी आया जब उसने पूरा सामान देकर बाद में छीन भी लिया. लेकिन मोहम्मद जीशान उन लोगों में शामिल नहीं थे.

राज शमानी के पॉडकास्ट में रिंकू सिंह (Rinku Singh) ने बताया है कि अगर जीशान भाई ना होते तो, वह क्रिकेटर नहीं बनते. रिंकू ने राज शमानी से कहा, ‘वैसे तो मुझे बहुत लोगों ने मदद की लेकिन लेकिन जिनकी वजह से आज मैं जहां बैठा हूं, उनका नाम मोहम्मद जीशान है.जिन्होंने मेरी बहुत मदद की. वैसे तो चार पांच लोग हैं जिन्होंने मेरी मदद की.जूते-चप्पल से लेकर बैट और बॉल के अलावा कपड़े तक जीशान भाई ने मुझे दिलवाया. हेलमेट, ग्लव्स सभी उन्होंने मुझे दिलवाई. मैं और वो एक ही क्लब से खेलते थे. उनका डेयरी का काम था.उन्होंने जब मेरे खेल को देखा तो सभी सामान मुझे दिलाया.’

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