लोगों की जिंदगी बदलते नवाचार: देवास में जॉब पोर्टल, झाबुआ में ‘मोटी आई’, हरदा में जैविक खेती और खंडवा में हरियाली मिशन – Indore News

लोगों की जिंदगी बदलते नवाचार:  देवास में जॉब पोर्टल, झाबुआ में ‘मोटी आई’, हरदा में जैविक खेती और खंडवा में हरियाली मिशन – Indore News



जमीन से उठे चार आइडिया और प्रदेश के रोल मॉडल बन गए चार जिले

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भोपाल में दो दिन चली कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में इस बार आंकड़ों नहीं, बल्कि जमीनी नवाचार चर्चा में रहे। देवास, झाबुआ, हरदा, खंडवा और इंदौर प्रशासन ने ऐसे प्रयोग पेश किए, जो कागजी योजनाओं से आगे निकलकर लोगों की जिंदगी बदलते दिखाई दिए। कहीं युवाओं को जॉब पोर्टल से रोजगार मिला तो कहीं ‘मोटी आई’ ने कुपोषण हराया।

किसान पॉडकास्ट के माध्यम से खेती भी सीख रहे हैं तो कहीं अतिक्रमण हटाकर हरियाली लौटी। इंदौर मॉडल ने तो पंचायतों में उद्योग लगाकर रोजगार का रास्ता दिखाया। आइए जानते हैं किस जिले ने कौन से नवाचार बताए, जो प्रदेश के लिए मॉडल बन गए।

इंदौर की 160 पंचायतों में 90 करोड़ का निवेश भोपाल में हुई कांफ्रेंस में इंदौर कलेक्टर रहे आशीष सिंह (अब उज्जैन कमिश्नर) ने 160 ग्राम पंचायतों में 308 नवीन उद्योग इकाई स्थापित कर ग्रामीण युवाओं को रोजगार देने का प्रेजेंटेशन दिखाया। इसमें वेल्डिंग व फेब्रिकेशन की 56, ईंट-पैवर ब्लॉक निर्माण की 20, फर्नीचर निर्माण की 12 व रेडिमेड गारमेंट की 10 इकाइयों सहित 308 इकाईयों का जिक्र किया गया। इससे दो हजार से अधिक रोजगार सृजित हुए।

हरदा: प्रशिक्षण लैब व पॉडकास्ट से जैविक खेती बनी स्मार्ट हरदा प्रशासन ने जैविक खेती सिखाने के लिए प्रशिक्षण लैब व पॉडकास्ट शुरू किए। ड्रोन से नैनो यूरिया छिड़काव और मंडियों में जैविक आउटलेट से किसानों की आमदनी 30 फीसदी बढ़ी। जैविक गेहूं पर 1.10 लाख और चने पर 93 हजार रुपए तक लाभ मिला। वहीं, भू-अभिलेख पोर्टल पर गायब गांवों के डिजिटल नक्शे बनाने से मुआवजा प्रक्रिया आसान हुई।

देवास: डिजिटल जॉब पोर्टल देवास का डिजिटल जॉब पोर्टल एक क्लिक पर मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, आईटीआई, फार्मा और फूड सेक्टर के युवाओं को सीधे उद्योगों से जोड़ रहा है। पोर्टल में ऑटो रिज़्यूमे, स्मार्ट जॉब मैचिंग व डेटा ट्रैकिंग की सुविधा है। नवीन फ्लोरिन, पेंटागन लैब, विप्पी इंडस्ट्री जैसी कंपनियां इससे जुड़ चुकी हैं।

झाबुआ: ‘मोटी आई’ बना आंदोलन झाबुआ में ‘मोटी आई’ सामाजिक आंदोलन बन चुका है। 1950 कुपोषित बच्चों के लिए 1325 महिलाओं को ‘मोटी आई’ के रूप में प्रशिक्षित मिला। बच्चों की पारंपरिक मालिश व भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित की। नतीजा-1523 बच्चे सामान्य श्रेणी में लौट आए। सिकल सेल एनीमिया की जांच में झाबुआ प्रदेश में अव्वल रहा।

खंडवा: पर्यावरण अब मिशन खंडवा पर्यावरण संरक्षण में नया मॉडल बन गया है। मियावाकी तकनीक से 3.5 एकड़ में 22 हजार 500 पौधे लगाए, जो पारंपरिक विधि से 10 गुना तेजी से बढ़ रहे हैं। एक पेड़ मां के नाम अभियान में 88 स्कूलों ने 9916 पौधे लगाए। कलेक्टर ऋषभ गुप्ता के अनुसार, पर्यावरण अब सरकारी नहीं, सामाजिक आंदोलन बन चुका है।



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