टीकमगढ़ की सुभाष पुरम कॉलोनी स्थित शिव मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। रविवार रात कथा के दौरान बुंदेलखंड पीठाधीश्वर महंत सीतारामदास महाराज ने श्रद्धालुओं को स्वच्छता का संदेश दिया।
.
महाराज ने कहा कि जब जिले के अधिकारी उनसे मिलने आते हैं, तो वे अक्सर गंदगी के लिए स्थानीय लोगों को जिम्मेदार ठहराते हैं। उन्होंने इंदौर का उदाहरण दिया, जो स्वच्छता में देश में पहले स्थान पर है, और वहां के लोगों की जागरूकता की सराहना की।
महाराज ने लोगों से अपने घरों में डस्टबिन रखने और कचरा वाहन आने पर ही उसमें कचरा डालने का आग्रह किया, ताकि घर, मोहल्ला और शहर स्वच्छ रह सके।
श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों को बुलाया
कथा के दौरान महाराज ने महारास का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों को बुलाया। हालांकि, जब गोपियों में अहंकार आ गया, तो भगवान अदृश्य हो गए।
इसके बाद गोपियों ने ‘गोपी गीत’ गाया। उनकी हृदय की पीड़ा देखकर भगवान कृष्ण पुनः प्रकट हुए और रास लीला संपन्न हुई। महाराज ने समझाया कि महारास लीला जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है।
महारास के पांच अध्याय बताए
महाराज ने बताया कि महारास में पांच अध्याय हैं, और उनमें गाए जाने वाले पांच गीत भागवत के पंच प्राण माने जाते हैं। जो भी इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भवसागर से पार हो जाता है और उसे वृंदावन बिहारी की भक्ति सहज ही प्राप्त होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि जब जीव में अभिमान आता है, तो भगवान उससे दूर हो जाते हैं। लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है, तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते हैं और उसे दर्शन देते हैं।
कथा के दौरान धार्मिक भजनों का भी गायन हुआ। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया गया कि उनका पहला विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मिणी के साथ संपन्न हुआ था।

कथा यजमान हरिशंकर सोनी ने जानकारी दी कि 7 अक्टूबर से शुरू हुई यह श्रीमद् भागवत कथा 13 अक्टूबर को समाप्त होगी। इसके बाद 14 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे से भंडारे का आयोजन किया जाएगा।