त्योहार पर घर जाना और लौटना हुआ महंगा: बस ऑपरेटरों की ‘दिवाली लूट’, 6 गुना तक बढ़ा किराया; RTO बोले- हमारा कंट्रोल नहीं – Madhya Pradesh News

त्योहार पर घर जाना और लौटना हुआ महंगा:  बस ऑपरेटरों की ‘दिवाली लूट’, 6 गुना तक बढ़ा किराया; RTO बोले- हमारा कंट्रोल नहीं – Madhya Pradesh News


दिवाली से एक दिन पहले 19 अक्टूबर को भोपाल से पुणे तक यदि बस से जाना चाहते हैं तो किराए पर 5 हजार से ज्यादा खर्च करना पड़ेंगे। वहीं ऑनलाइन सर्च में इसी दिन इंडिगो की फ्लाइट का किराया करीब 6 हजार रु. बताया जा रहा है। यानी बस और फ्लाइट के किराए में ज्या

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दरअसल, त्योहार पर घर जाने वाले और वापस लौटने वाले यात्रियों से बस ऑपरेटर मनमाना किराया वसूल करते हैं। ये किराया चार से पांच गुना ज्यादा होता है। ये कहानी हर साल की है। भास्कर ने इंदौर और भोपाल से दूसरे बड़े शहर जैसे पुणे, मुंबई, बनारस जाने वाली बसों के किराए और इन्हीं शहरों की फ्लाइट के किराए का एनालिसिस किया तो ज्यादा अंतर नहीं दिखा।

वहीं मप्र के भीतर ही यानी भोपाल या इंदौर से रीवा, जबलपुर, छिंदवाड़ा, गुना, ग्वालियर जाने वाली बसों का किराया भी चार से पांच गुना वसूल किया जा रहा है। टिकट एजेंट का कहना है कि ये किराया और बढ़ेगा। वहीं जब परिवहन विभाग के अफसरों से बात की तो उन्होंने कहा कि इस ‘दिवाली लूट’ पर उनका कोई कंट्रोल नहीं है। पढ़िए रिपोर्ट

हर साल दिवाली पर बसों का किराया 4 से 5 गुना बढ़ जाता है।

तीन केस से समझिए यात्रियों का दर्द

केस1: मेरे साथियों ने घर जाने का प्लान कैंसिल किया त्योहारों पर इस तरह की लूट से आम यात्री परेशान हैं। भोपाल में नौकरी करने वाले सागर के संदीप नेमा बताते हैं, ‘मैं अक्सर बस से सफर करता हूं, लेकिन दिवाली आते ही किराया आसमान पर पहुंच जाता है। मेरे साथ काम करने वाले बनारस और गोरखपुर के कई साथियों ने तो बढ़ा हुआ किराया देखकर घर जाने का प्लान ही कैंसिल कर दिया है।’

केस2: महंगी टिकट सुनकर ही हाथ पीछे खींचे छिंदवाड़ा के छात्र अलपा यादव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। ट्रेन में टिकट न मिलने पर जब वह बस का एडवांस टिकट लेने पहुंचे, तो दोगुने से ज्यादा किराया सुनकर खाली हाथ लौट आए। उन्होंने कहा, ‘पॉकेट मनी इतनी नहीं कि इतना महंगा टिकट ले सकूं। अब तत्काल टिकट ही आखिरी उम्मीद है, वर्ना घर कैसे जाऊंगा, पता नहीं।’

केस3: ये आम लोगों के साथ ज्यादती वहीं, भोपाल से पुणे जा रहे रिषभ भट्ट कहते हैं, ‘यह किराया आम आदमी की पहुंच से बाहर है। तीन-चार गुना ज्यादा किराया बढ़ना हर व्यक्ति अफोर्ड नहीं कर सकता। लोग साल में एक-दो बार ही त्योहार पर घर जा पाते हैं। ऐसे में इतना किराया बढ़ाना गलत है। आम आदमी सरकार को टैक्स देता है तो कम से कम सरकार और प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए और किराया फिक्स करना चाहिए।’

अब जानिए कैसे बढ़ रहा किराया

भोपाल से बनारस का किराया 6 हजार रुपए भोपाल से रीवा और बनारस तक का किराया सामान्य दिनों में 800 से 1200 रुपए तक रहता है, जो दिवाली के सीजन में बढ़कर 6 हजार तक पहुंच गया है। इसी तरह इंदौर से रीवा का किराया 800 से 1200 तक रहता है, जिसके लिए अब 3700 रुपए तक वसूले जा रहे हैं।

वहीं भोपाल से पुणे तक का किराया सामान्य दिनों में 1200 से 1500 रुपए रहता है, जिसके लिए 19 अक्टूबर को 5200 रुपए लिए जा रहे हैं। 20 अक्टूबर को दिवाली के बाद भी किराए में कमी नहीं है। उस वक्त वापस लौटने वाले लोगों से मनमाना किराया वसूला जाता है।

इंदौर से मुंबई बस और फ्लाइट किराया एक जैसा इसी तरह इंदौर से मुंबई जाने वाले यात्रियों से भी मनमाना किराया वसूला जा रहा है। इस समय किराया तीन हजार से साढ़े तीन हजार तक है। जैसे ही दिवाली की तारीख नजदीक आएगी किराया और बढ़ता जाएगा। बस ऑपरेटर्स का दावा है कि ये किराया 5 से 6 हजार रुपए तक पहुंच जाता है। वहीं 19 अक्टूबर को इंदौर से मुंबई फ्लाइट का किराया भी 5 हजार के लगभग है।

इंदौर-पुणे फ्लाइट और बस का किराया भी समान भोपाल से मुंबई तक लग्जरी एसी बस का किराया 10 अक्टूबर को 1300 रुपए था। जब इसी रूट पर 24 अक्टूबर का किराया ऑनलाइन चेक किया तो ये 4700 रु. है। यानी दिवाली के बाद वापस लौटने का किराया भी मनमाने तरीके से वसूलने की पूरी तैयारी है।

इसी तरह इंदौर से पुणे का किराया 10 अक्टूबर को एक हजार से 1200 रुपए तक लिया गया। जबकि 24 अक्टूबर को ये किराया 4600 रुपए शो हो रहा है। इंदौर-पुणे फ्लाइट की बात करें तो अलग-अलग फ्लाइट के हिसाब से किराया अलग है। एयर इंडिया एक्सप्रेस और इंडिगो की बात की जाए तो ये 5 से साढ़े पांच हजार किराया होता है। यानी बस और फ्लाइट के किराए में मामूली सा ही अंतर है।

एजेंट का दावा- ‘अभी तो और बढ़ेगा किराया’ भोपाल में टिकट बुकिंग करने वाले एक एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘दिवाली पर मांग बहुत ज्यादा है, सारी बसें फुल चल रही हैं। अभी तो किराया इतना है, दिवाली पास आने पर और बढ़ेगा। बनारस का किराया आठ हजार तक भी पहुंच जाता है। जब सीटें कम होती हैं और यात्री ज्यादा, तो किराया बढ़ाना हमारी मजबूरी है।’

एक्सपर्ट्स का मानना है कि हर त्योहार पर यह स्थिति दोहराई जाती है। रेलवे की सीमित सीटें और सरकारी बसों की कमी यात्रियों को निजी ऑपरेटरों के शिकंजे में फंसा देती हैं। यदि परिवहन विभाग पहले से किराया नियंत्रण और अतिरिक्त बसों की व्यवस्था करे, तो यात्रियों की यह वार्षिक परेशानी काफी हद तक कम हो सकती है।

RTO ने झाड़ा पल्ला, टूरिस्ट परमिट को बताया वजह जब इस मनमानी वसूली पर भोपाल के आरटीओ जीतेंद्र शर्मा से बात की गई, तो उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए अपनी सीमाएं गिना दीं। उन्होंने कहा, ‘प्रदेश के भीतर चलने वाली ‘स्टेट कैरिज’ बसों का किराया तय होता है। अगर वे ज्यादा वसूल रही हैं, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।

पुणे, मुंबई, बनारस जैसे शहरों में चलने वाली ज्यादातर बसें ‘ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट’ पर चलती हैं। इन बसों के किराए पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता।’ उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कई बस संचालक टूरिस्ट परमिट का दुरुपयोग यात्री बस के रूप में करते हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।



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