राजस्थान के सरकारी अस्पताल में आग लगने से हुई आठ मरीजों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि देशभर के सरकारी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा को लेकर गंभीरता बढ़ेगी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि धार जिला अस्पताल ने उस हादसे
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54 लाख खर्च, लेकिन सिस्टम अब भी बंद
धार जिला अस्पताल में करीब 54 लाख रुपए खर्च कर एक मॉडर्न फायर कंट्रोल सिस्टम लगाया गया था। अस्पताल के करीब 20 वार्डों में फायर पाइपलाइन, सेंसर और स्प्रिंकलर जैसे उपकरण तो लगाए गए हैं, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी यह पूरा सिस्टम चालू नहीं हो पाया है।
दीवारों पर लगे सेंसर और छत से लटकते स्प्रिंकलर तो नजर आते हैं, लेकिन इन तक पानी पहुंचाने के लिए जरूरी पंप अब तक नहीं लगाया गया है। ऐसे में यह पूरा सिस्टम केवल दिखावे का बनकर रह गया है।
आपात स्थिति में नहीं देगा सुरक्षा
फिलहाल अस्पताल का यह सिस्टम किसी आग लगने की स्थिति में कोई मदद नहीं कर सकता। जबकि अस्पताल जैसी जगह पर, जहां रोजाना सैकड़ों मरीज और स्टाफ मौजूद रहता है, सुरक्षा का अधूरा इंतजाम किसी बड़ी जनहानि का कारण बन सकता है।
प्रबंधन बोला- चालू करने की जिम्मेदारी एजेंसी की
सिविल सर्जन डॉ. मुकुंद बर्मन ने बताया, “सिस्टम लगाने का काम पूरा हो चुका है, अब इसे चालू करने की जिम्मेदारी एजेंसी की है। मामला भोपाल स्तर पर लंबित है, और इसके लिए कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं। प्रबंधन का दावा है कि पानी की टंकी और अन्य जरूरी इंतजाम पूरे कर दिए गए हैं, लेकिन एजेंसी की ओर से कार्य पूरा नहीं किया गया है।
470 में से 350 स्मोक सेंसर लगे, लेकिन बेकार
अस्पताल परिसर में कुल 470 स्मोक सेंसर लगाए जाने थे, जिनमें से 350 सेंसर अब तक इंस्टॉल किए जा चुके हैं। इन सेंसरों का मकसद आग या धुएं का पता लगाकर कंट्रोल पैनल को सिग्नल भेजना और फिर स्प्रिंकलर के जरिए पानी का छिड़काव शुरू करना है। लेकिन, सिस्टम सक्रिय न होने के कारण यह पूरी तकनीक फिलहाल निष्क्रिय है।