छतरपुर में पीडब्ल्यूडी के भवन को निजी व्यक्तियों के नाम पंजीकृत करने के मामले में प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने नगर पालिका के तत्कालीन राजस्व प्रभारी दयाराम कुशवाहा और वर्तमान प्रभारी राजेन्द्र कुमार नापित को तत्काल प्रभाव स
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नजूल की भूमि पर बना था भवन
यह भवन नजूल शीट ‘अ’ के भूखंड क्रमांक 120 पर स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 307 वर्ग मीटर है। यह भवन लोक निर्माण विभाग के नाम दर्ज था और संपत्तिकर का निर्धारण वर्ष 2023–24 तक वैध रूप से किया गया था। लेकिन वर्ष 2024–25 में बिना किसी अनुमति या प्रक्रिया के यह संपत्ति राकेश उपाध्याय, निशा, गोपाल और विजया उपाध्याय के नाम दर्ज कर दी गई।
लाल स्याही से की गई संदिग्ध प्रविष्टि
नामांतरण की प्रविष्टि लाल स्याही से की गई थी, जिसे प्रशासन ने संदिग्ध माना। जब नगर पालिका की सीएमओ माधुरी शर्मा द्वारा नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया, तो संबंधित अधिकारियों द्वारा संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। इसके बाद कलेक्टर ने इसे मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियमों का उल्लंघन मानते हुए यह कार्रवाई की।
संविदा कर्मी ने मानी गलती, एग्रीमेंट रद्द
इस मामले में संविदा पर कार्यरत उमाशंकर पाल ने 9 अक्टूबर 2025 को एसडीओ के समक्ष अपनी गलती स्वीकार की थी। उसने ही लाल स्याही से बिना स्वीकृति के प्रविष्टि दर्ज की थी। इसे गंभीर लापरवाही और अनुशासनहीनता मानते हुए उसका अनुबंध 11 अक्टूबर 2025 से समाप्त कर दिया गया।
एसडीओ पीडब्ल्यूडी पर भी गिरी गाज
इस प्रकरण में एसडीओ पीडब्ल्यूडी कमलेश मिश्रा पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कलेक्टर ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रस्ताव सागर कमिश्नर को भेजा है। उन पर आरोप है कि उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद विभागीय हितों की रक्षा में रुचि नहीं ली, जिससे शासकीय भूमि निजी हाथों में चली गई।