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Masoor Dal Kheti: मसूर की खेती छतरपुर के नौगांव कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. कमलेश अहिरवार के अनुसार कम पानी में सफल, पूसा वैभव, कोटा मसूर 6 जैसी किस्में लाखों का मुनाफा देती हैं.
Masoor Kheti. किसान अगर रबी फसलों से अच्छी उपज लेना चाहते हैं, तो दलहनी फसलों में मसूर की खेती कर सकते हैं. इससे उन्हें लाखों की आमदनी हो सकती है. मसूर का इस्तेमाल दाल के रूप में खाने के अलावा, नमकीन और मिठाइयों को बनाने के लिए भी किया जाता है. छतरपुर के नौगांव कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ डॉ. कमलेश अहिरवार बताते हैं कि मसूर खेती की बुवाई शुरू हो गई है. 15 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर तक बीजों की बुवाई कर देनी चाहिए.
डॉ. कमलेश बताते हैं कि मसूर की खेती असिंचित और बारानी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती हैं. यदि सर्दियों में एक बार भी बारिश हो जाती है, तो मसूर को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. सिंचाई की व्यवस्था हो तो हल्की प्रथम सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद तथा दूसरी सिंचाई फलियों में दाने भरते समय करनी चाहिए. ऐसा करने से फसल अच्छी होती है. डॉ कमलेश बताते हैं कि ये फसल लगभग 3 महीने के भीतर ही तैयार हो जाती है. इस फसल की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
ठंड में करनी होती है देखभाल
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि ठंड के मौसम में इस फसल को माहू रोग से बचाना होता है. ठंड के मौसम में पाला लगने का खतरा बना रहता है, इसलिए ठंड के मौसम में इसकी विशेष देखभाल करनी होती है.
इन किस्म को लगाएं
एक्सपर्ट बताते हैं कि मसूर फसल की उच्च किस्मों की खेती की जाए तो बढ़िया उत्पादन कर सकते हैं. इससे किसान भाई लाखों का मुनाफा कमा सकते हैं. अगर मसूर की किस्मों की बात करें तो पूसा वैभव, कोटा मसूर 6, मलिका, पंत-एल 406 जैसी किस्में लगा सकते हैं. ये किस्में कम समय में अधिक पैदावार देती हैं.
एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म…और पढ़ें
एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय. प्रिंट मीडिया से शुरुआत. साल 2023 से न्यूज 18 हिंदी के साथ डिजिटल सफर की शुरुआत. न्यूज 18 के पहले दैनिक जागरण, अमर उजाला में रिपोर्टिंग और डेस्क पर कार्य का अनुभव. म… और पढ़ें