कटारिया फार्मास्युटिकल्स का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।
छिंदवाड़ा और बैतूल में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 25 बच्चों की मौत के बाद प्रदेश के अलग-अलग जिलों में लगातार कार्रवाई जारी है। जबलपुर की श्रीसन फार्मा कंपनी का महाकौशल डीलर ऑफिस है, जहां से कंपनी की अलग-अलग दवाएं जिले में सप्लाई की जाती थीं।
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जबलपुर के कटारिया फार्मास्यूटिकल ऑफिस से ही छिंदवाड़ा का बड़ा लॉट कोल्ड्रिफ सिरप का भेजा गया था। रविवार को जांच रिपोर्ट आने के बाद गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिसके बाद खाद्य एवं औषधि विभाग ने लाइसेंस निरस्त कर दिया है। इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने कंपनी और उसके डीलर के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है।
दो दिन पहले ही खाद्य एवं औषधि विभाग ने जांच के दौरान पाया था कि नोदरा ब्रिज स्थित कटारिया फार्मास्यूटिकल के ऑफिस-गोदाम में जहां पर दवाओं का स्टाॅक रखा जाता था, उसको लेकर अनुमति नहीं थी। इतना ही नहीं, कटारिया फार्मास्यूटिकल के संचालक ने दुकान का लाइसेंस और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किया, लेकिन गोदाम से जुड़े उनके पास कोई दस्तावेज नहीं थे, जबकि यहीं पर दवाओं का स्टॉक रखा जाता था। जिला प्रशासन के साथ मिलकर खाद्य एवं औषधि विभाग ने कटारिया फार्मास्यूटिकल के ऑफिस और गोदाम को फिलहाल सील कर दिया है।
फार्मास्यूटिकल के मालिक, जिनका कहना है कि हम सिर्फ दवा पहुंचाने का काम करते है, बनाते नहीं है।
कटारिया फार्मास्यूटिकल से मिले कफ सिरप के सैंपल जब्त कर जांच के लिए भेजे गए थे। जांच में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत और भी कमियां टीम को मिली हैं, जिनके आधार पर फर्म को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। पत्र प्राप्त होते ही एक दिन में जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं। जबलपुर से छिंदवाड़ा भेजे गए सिरप में डाइएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) पाया गया है।
खाद्य एवं औषधि विभाग की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि जहां दवाओं का स्टॉक रखा जाता था, वहां रेफ्रिजरेटर नहीं है, जबकि नियम के मुताबिक रेफ्रिजरेटर होना आवश्यक है। फर्म संचालक द्वारा सेल-परचेज का पूरा रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया, जो गंभीर अनियमितता में आता है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने दवाओं का कस्टडी ऑर्डर ले लिया है। इसके बाद अब जांच की अनुमति भी मिल गई है।

कटारिया फार्मास्यूटिकल से छिंदवाड़ा कोल्ड्रिफ सिरप जाते थे।
तमिलनाडु की श्री सन फार्मा के द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप से अभी तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी है। खाद एवं औषधि प्रशासन ने स्टॉकिस्ट से यह भी पूछा है कि उन्होंने ऐसी दवा क्यों बेची, जो की स्टैंडर्ड क्वालिटी की नहीं थी और जिससे कई मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। कोल्ड्रिफ सिरप महाकौशल में सिर्फ जबलपुर से होते हुए छिंदवाड़ा जाती थी, जो कि संदेहास्पद है। खाद एवं औषधि विभाग के साथ प्रशासन इसका कारण भी स्पष्ट करने में जुटी हुई है।
कटारिया फार्मास्यूटिकल द्वारा ही छिंदवाड़ा में तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्यूटिकल द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप की सप्लाई की गई थी, जिसके पीने से मासूम बच्चों की मौत हो गई। जांच के दौरान कटारिया फार्मास्युटिकल्स द्वारा दुकान का लाइसेंस समेत अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, लेकिन उस गोदाम से जुड़ा कोई दस्तावेज या अनुमति प्रस्तुत नहीं किया, जहां दवाओं का स्टॉक किया गया।
जांच के दौरान मौके पर रेफ्रिजरेटर नहीं मिला। इसके अलावा फर्म संचालक द्वारा सेल-पर्चेज का पूरा रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया। औषधि निरीक्षक देवेंद्र जैन ने बताया कि फर्म को नोटिस का जवाब देने के लिए एक दिन का वक्त दिया गया था लेकिन उन्होंने तय समय अवधि में नोटिस का जवाब नहीं दिया जिसके तहत लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की गई है।

आईजी प्रमोद वर्मा का कहना है कि जांच जारी है, दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
जबलपुर रेंज के आईजी प्रमोद वर्मा का कहना है कि छिंदवाड़ा में हुई बच्चों की मौत को लेकर हमारी टीम लगातार जांच कर रही है। श्रीसन फार्मा कंपनी के मालिक को चेन्नई से गिरफ्तार करने के बाद अब पुलिस उन लोगों तक भी पहुंच रही है, जो इस कफ सिरप की मिलावट में शामिल थे।
अब तक कई अधिकारियों को निलंबित और गिरफ्तार किया जा चुका है। आईजी ने बताया कि अब तक हुई जांच की रिपोर्ट की समीक्षा की गई है, जिसमें जिनकी संलिप्तता पाई जाएगी, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई जरूर की जाएगी।