नगर के प्रमुख मार्गों से निकला पथ संचलन।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में मंडला नगर में विजयादशमी उत्सव का आयोजन सोमवार शाम को अष्टविनायक लॉन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक शस्त्र पूजन से हुआ। इस अवसर पर मध्य क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रचारक प्रेमशं
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अपने उद्बोधन में सिदार ने कहा कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय से पूर्व शक्ति की आराधना की थी, उसी तरह समाज को भी अपनी शक्ति का संवर्धन करना चाहिए। उन्होंने भारत को हिन्दू भूमि और मातृभूमि बताते हुए कहा कि इसकी पूजा की परंपरा केवल यहीं मिलती है। सिदार ने जोर देकर कहा कि हिन्दू समाज यदि संगठित होगा, तो देश पुनः अपनी खोई प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा।
सिदार ने आगे कहा कि जिस राष्ट्र में लोकशक्ति और सज्जनशक्ति जागृत होती है, वही सशक्त और आत्मनिर्भर बनता है। उन्होंने इस शक्ति को दीनदयाल उपाध्याय द्वारा ‘चिति’ और स्वामी विवेकानंद द्वारा ‘धर्म’ कहे जाने का उल्लेख किया। उनके अनुसार, इस शक्ति के जागृत होने पर समाज अपनी कमियों को स्वयं दूर करता है।
नगर की सड़क से निकला पथ संचलन।
संघ के इतिहास का जिक्र करते हुए श्री सिदार ने बताया कि देश विभाजन के समय स्वयंसेवकों ने निःस्वार्थ सेवा की थी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संघ पर प्रतिबंध के दौरान 73,000 स्वयंसेवक जेल गए, लेकिन संघ ने राष्ट्रकार्य से कभी मुंह नहीं मोड़ा। उन्होंने संघ की 100 वर्षों की यात्रा को समरसता और संगठन का प्रतीक बताया।
सिदार ने कहा कि शताब्दी वर्ष केवल उत्सव का अवसर नहीं, बल्कि समाज की सज्जन शक्ति को राष्ट्रनिर्माण में लगाने का समय है। उन्होंने संयुक्त परिवार, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी अपनाने और कानून पालन को वर्तमान समय की आवश्यकता बताया। उन्होंने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा, “अनुशासन में ही समाज की प्रगति निहित है।”
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि किशोर काल्पिवार, जिला संघचालक और नगर संघचालक भी उपस्थित थे। उद्बोधन के पश्चात, गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने नगर के प्रमुख मार्गों से अनुशासित पथ संचलन निकाला। नगरवासियों ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया, जिससे पूरा शहर राष्ट्रभक्ति के जयघोष से गूंज उठा।
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