लाड़ली बहना स्कीम में ओबीसी को 50% आरक्षण मिले: सरकार की गोपनीय रिपोर्ट में लिखा, नौकरी में भी 36% रिजर्वेशन की सिफारिश – Madhya Pradesh News

लाड़ली बहना स्कीम में ओबीसी को 50% आरक्षण मिले:  सरकार की गोपनीय रिपोर्ट में लिखा, नौकरी में भी 36% रिजर्वेशन की सिफारिश – Madhya Pradesh News


‘ओबीसी वर्ग की 50 फीसदी से ज्यादा परिवारों की महिलाएं मजदूरी या शारीरिक श्रम करती हैं। राज्य सरकार को ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए ज्यादा सुरक्षा, विशेषकर लाड़ली बेटी और लाड़ली बहना जैसी योजनाओं में इन वर्गों के लिए 50 फीसदी आरक्षण किया जाना आवश्यक ह

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ये सरकार की उस गोपनीय सर्वे रिपोर्ट का हिस्सा है जो सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के साथ पेश की गई है।इस गोपनीय रिपोर्ट में ओबीसी को 36 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की गई है। दरअसल, सरकार ने ओबीसी वर्ग की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का आकलन करने के लिए महू के डॉ. बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय को एक सर्वे करने के लिए कहा था।

विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. रामदास आत्राम की अध्यक्षता में मप्र के करीब 10 हजार ओबीसी वर्ग के परिवारों पर ये सर्वे किया गया और इसकी रिपोर्ट 28 जुलाई 2023 को सरकार के राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग को सौंपी गई थी। ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आखिरकार किन वजहों से ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देना चाहिए।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में 27 फीसदी आरक्षण को लेकर सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट दो बार तारीख आगे बढ़ा चुका है। अगली सुनवाई नवंबर में है। इस मसले पर राजनीति भी हो रही है ऐसे में सरकार ने हलफनामे के जो रिपोर्ट पेश की है उसमें और क्या सिफारिशें की गई हैं। पढ़िए रिपोर्ट

बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय ने ये रिपोर्ट 28 जुलाई 2023 को सरकार को दी।

जानिए क्या है रिपोर्ट में इस सर्वे का मकसद मध्यप्रदेश के OBC वर्गों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का मूल्यांकन करना और इनके पिछड़ेपन के प्रमुख कारणों को पहचानना था। साथ ही ये भी पता करना कि सरकार की योजनाओं में इनकी वास्तविक भागीदारी कितनी है और इन योजनाओं का कितना फायदा ओबीसी वर्ग को मिल रहा है।

इसके लिए मप्र के अलग-अलग जिलों के करीब 10 हजार परिवारों पर सर्वे किया गया। उनसे सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति को लेकर सवाल पूछे गए। साथ ही रिपोर्ट में इस बात का भी आकलन किया गया है कि मप्र के सरकारी विभागों में ओबीसी को कितना प्रतिनिधित्व मिल रहा है।

सामाजिक स्थिति- पिछड़ेपन का कारण आज भी ‘जाति’ रिपोर्ट के मुताबिक ओबीसी वर्ग सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का कारण जाति का बना रहना है। ओबीसी वर्ग के प्रति राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी हमेशा रही। इस समस्या से निपटने के लिए रिपोर्ट में डॉ. भीमराव अंबेडकर की “जाति-तोड़ो, समाज-जोड़ो” की नीति को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सख्ती से लागू करने की सिफारिश की गई है।

  • खड़े होकर देना पड़ता है सम्मान: 5,578 परिवारों (लगभग 56%) ने माना कि जब उनके घर के सामने से ऊंची जाति का कोई व्यक्ति गुजरता है, तो उनकी जाति के लोग चारपाई या तखत पर बैठे नहीं रह सकते। उन्हें सम्मान देने के लिए उठकर खड़ा होना पड़ता है।
  • मंदिरों में प्रवेश वर्जित: 5,697 परिवारों (लगभग 57%) ने बताया कि उनकी जाति या समुदाय के लोगों को मंदिरों में पुजारी या मठ-आश्रमों में मुखिया नहीं बनाया जाता है।
  • धार्मिक शिक्षा से दूरी: 5,123 परिवारों का मानना है कि उनकी जाति के लोगों को धार्मिक शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के अवसर नहीं मिलते, जबकि 2,957 का मानना है कि उन्हें पुजारी बनने के लिए आवश्यक पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश नहीं दिया जाता।
  • छुआछूत आज भी जारी: 3,797 यानी लगभग 42% परिवारों ने माना कि उनके समुदाय के साथ छुआछूत की प्रथा आज भी प्रचलित है। उनका दावा है कि उनकी जाति और समुदाय के मोहल्ले भी अलग-बसे हुए हैं।
  • भेदभाव और बहिष्कार: 3,763 परिवारों का मानना है कि उच्च वर्ग के लोग पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ न तो खाना खाते हैं और न ही पानी पीते हैं। वहीं, 3,238 परिवारों ने कहा कि उनके साथ जातिगत भेदभाव बढ़ा है और पुजारी उनके समुदाय में धार्मिक संस्कार कराने से मना कर देते हैं।

आर्थिक स्थिति: खेती और मजदूरी पर निर्भरता सर्वेक्षण में शामिल 10,000 परिवारों में से 9,922 ने अपने पेशे की जानकारी दी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति का पता चलता है। रिपोर्ट के मुताबिक ओबीसी वर्ग में औसत बेरोजगारी दर 14.9 फीसदी है। ग्रामीण क्षेत्र में ये 12.6 फीसदी तो शहरी क्षेत्र में 16.8 फीसदी है। ओबीसी वर्ग में महिला बेरोजगारी का प्रतिशत 21.3% है। इसकी कई कारण गिनाए हैं।

  • मुख्य पेशा: 90% परिवार खेती पर निर्भर हैं, जबकि 10% कारीगरी जैसे परंपरागत व्यवसाय करते हैं।
  • लाभहीन परंपरागत व्यवसाय: रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना क्रांति के इस दौर में परंपरागत व्यवसाय अब नियमित आय के साधन नहीं रहे और आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं हैं।
  • महिलाएं करती हैं मजदूरी: 5,018 परिवारों की महिलाएं घर चलाने के लिए मजदूरी करती हैं। इसे देखते हुए रिपोर्ट में लाड़ली बेटी और लाड़ली बहना जैसी योजनाओं में ओबीसी वर्ग की महिलाओं को 50% आरक्षण देने की सिफारिश की गई है।
  • जातिगत पेशा और हीन भावना: 3,573 लोगों का मानना है कि जातिगत पेशों के कारण उन्हें दूसरी जातियों के यहां काम करना पड़ता है, जिससे उन्हें छोटा और हीन समझा जाता है।

शिक्षा और रोजगार: अवसरों की भारी कमी रिपोर्ट में शैक्षणिक और रोजगार के आंकड़ों के जरिए बताया गया कि आखिर क्यों आरक्षण बढ़ाया जाना चाहिए।

  • उच्च शिक्षा से वंचित: 10,000 में से 7,511 लोगों ने कभी कॉलेज में पढ़ाई नहीं की। उनकी शैक्षणिक योग्यता 12वीं से भी कम है। केवल 15.65% स्नातक और मात्र 8.15% स्नातकोत्तर हैं। 4,485 लोगों ने इसका मुख्य कारण आर्थिक तंगी बताया।
  • सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व: रोजगार की स्थिति सबसे चिंताजनक है। 5,948 यानी 60% से अधिक परिवारों ने अनुमान लगाया कि उनके पूरे गांव में कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी में नहीं है। केवल 11 लोगों ने यह माना कि उनके गांव में 5 से अधिक लोग सरकारी नौकरी में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ओबीसी के क्लास वन के 68.24 फीसदी और अखिल भारतीय सेवा के 51.17 फीसदी पद खाली है। वहीं चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा 32.56 फीसदी अधिकारी और कर्मचारी ओबीसी वर्ग के हैं। ये ओबीसी के सामाजिक-शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन की तरफ इशारा करता है।

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें

सर्वे के नतीजे के आधार पर पिछड़ा वर्ग के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं

  • शिक्षा में आरक्षण: ओबीसी वर्ग के छात्रों को शिक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम 35% आरक्षण दिया जाना अत्यंत आवश्यक है। उच्च शिक्षा में OBC छात्रों के लिए हॉस्टल और स्कॉलरशिप बढ़ाई जाएं।
  • सेवाओं में आरक्षण: शिक्षा और अन्य सेवाओं में इस वर्ग के लिए 36% आरक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे सामाजिक और आर्थिक रूप से मुख्यधारा में आ सकें। सरकारी नौकरियों में उच्च श्रेणी के पदों पर OBC का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए मॉनिटरिंग मैकेनिज्म बनाया जाए।
  • महिला-केंद्रित योजनाओं में आरक्षण: लाड़ली बहना जैसी सरकारी योजनाओं में ओबीसी महिलाओं के लिए 50% आरक्षण सुनिश्चित किया जाए। आर्थिक रूप से कमजोर OBC वर्गों के लिए स्वरोजगार और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की जाए।
  • सामाजिक सुधार: जातिवाद को खत्म करने के लिए अंबेडकर की “जाति-तोड़ो, समाज-जोड़ो” की नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। पंचायत और नगरीय निकायों में निर्वाचित OBC प्रतिनिधियों को लीडरशिप ट्रेनिंग दी जाए।



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