कथावाचन के दौरान श्रद्धालुओं ने किया नृत्य।
टीकमगढ़ के सुभाष पुरम कॉलोनी स्थित शिव मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का सोमवार को सुदामा चरित्र प्रसंग के साथ समापन हुआ। इस दौरान बुंदेलखंड पीठाधीश्वर महंत सीताराम दास महाराज ने कथा का वर्णन किया।
.
महंत सीताराम दास महाराज ने कहा कि परमात्मा में आसक्ति मनुष्य को सांसारिक मोह माया से मुक्त करती है और जीव को भवबंधन से पार ले जाती है। उन्होंने बताया कि परमात्मा बिना मांगे ही भक्तों को सब कुछ प्रदान कर देता है।
महाराज ने भगवान द्वारिकाधीश और उनके परम भक्त तथा बालसखा सुदामा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि साधनहीन होने के बावजूद सुदामा भगवान में पूरी तरह आसक्त थे। वे भिक्षा में मिले भोजन से संतुष्ट रहकर अपनी गृहस्थी चलाते थे, कई बार तो परिवार को भूखा भी सोना पड़ता था।
पीठाधीश्वर महंत सीताराम दास महाराज कथावाचन करते हुए।
दो लोको का ऐश्वर्य प्रदान किया
एक बार सुदामा की पत्नी ने उन्हें द्वारिकाधीश के पास जाने के लिए विवश किया। मित्र के घर खाली हाथ न जाने के लिए, पत्नी ने पड़ोसियों से मांगकर दो मुट्ठी चावल एक पोटली में बांधकर दिए। हरिनाम स्मरण करते हुए सुदामा कई दिनों की यात्रा पर निकले, जहां उन्हें रास्ते में भगवान द्वारिकाधीश वेश बदलकर मिले और द्वारिकापुरी पहुंचने में सहायता की।
द्वारिकापुरी पहुंचने पर भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा का स्वागत किया। मित्र को सामने पाकर श्रीकृष्ण भावविभोर हो गए और उनके अश्रुओं से ही सुदामा के पैर धोए। द्वारिकाधीश ने सुदामा की पोटली से दो मुट्ठी चावल अपने मुख में डालकर उन्हें दो लोको का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया।
इस कथा को सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। कथा आयोजकों ने बताया कि धार्मिक अनुष्ठान का समापन मंगलवार को कन्या भोज और भंडारे के साथ होगा।