सतना जेल में जम्मू जैसा वैष्णो माता मंदिर, कैदियों ने बनाया था…जानें इतिहास

सतना जेल में जम्मू जैसा वैष्णो माता मंदिर, कैदियों ने बनाया था…जानें इतिहास


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Vaishno Devi Mandir in Satna: मंदिर की बनावट बिल्कुल जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर जैसी है. यहां भी श्रद्धालु गुफा के रास्ते से होते हुए गर्भगृह तक पहुंचते हैं. मंदिर सुबह 7 बजे खुलता है और रात 8 बजे कपाट बंद होते हैं.

सतना. जम्मू में स्थित मां वैष्णो देवी का पावन धाम विश्व प्रसिद्ध है, जहां तीन स्वयंभू पिंडियों के रूप में मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी विराजमान हैं. इन्हीं तीनों स्वरूपों के दर्शन अब मध्य प्रदेश के सतना के केंद्रीय जेल में भी संभव हैं. यह सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन सतना जेल के भीतर वैष्णो देवी मंदिर का एक प्रतिरूप मौजूद है, जिसे स्वयं कैदियों ने अपने श्रम, आस्था और पुनर्वास की भावना से बनाया है. मंदिर का वैभव देख कोई भी यह कह उठेगा कि मानो जम्मू का वैष्णो धाम यहीं उतर आया हो. सतना की केंद्रीय जेल के इस मंदिर की कहानी जितनी अनोखी है, उतनी ही प्रेरणादायक भी. जेल के पुजारी मोहित गौतम ने लोकल 18 को बताया कि माता वैष्णो की स्वयंभू तीन पिंडियां जेल परिसर के भीतर मिली थीं. इसे एक दिव्य संकेत मानते हुए तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश गांधी और उनकी पत्नी ने शारदीय नवरात्रि के दौरान विधि-विधान से माता की स्थापना की. इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि मंदिर का निर्माण वैष्णो देवी के जम्मू स्थित मंदिर की तर्ज पर ही किया जाएगा.

2005 में चैत्र पक्ष प्रतिपदा के दिन माता वैष्णो देवी की स्थापना औपचारिक रूप से की गई. तभी से यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया. हर साल नवरात्रि और नव वर्ष पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. जेल प्रशासन की अनुमति से आमजन भी यहां दर्शन के लिए आते हैं.

कैदियों के हाथों से बना आस्था का धाम
करीब 250 से 300 कैदियों ने इस मंदिर के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई थी. किसी ने ड्राइंग बनाया, किसी ने डिजाइन तैयार किया, तो किसी ने कंक्रीट और रंग-रोगन का काम संभाला. हर ईंट, हर दीवार में श्रम और भक्ति का संगम झलकता है. खास बात यह है कि जिन कैदियों ने इस मंदिर के निर्माण में योगदान दिया, वे अब रिहा हो चुके हैं और अपने जीवन में नई राह पर हैं.

वैष्णो देवी धाम जैसी बनावट
मंदिर की बनावट बिल्कुल जम्मू के वैष्णो देवी धाम जैसी है. यहां भी श्रद्धालु गुफा के रास्ते गर्भगृह तक पहुंचते हैं. मंदिर सुबह 7 बजे खुलता है और रात 8 बजे तक खुला रहता है. इसके विशाल परिसर में प्रवेश के बाद अर्द्धकुमारी और दो छोटी गुफाएं पार करने के बाद भक्त दिव्य दरबार में पहुंचते हैं. यहां चरण पादुका मंदिर भी भक्तों के आकर्षण का केंद्र है.

रामायण की गाथा से सजी दीवारें
लगभग साढ़े तीन से चार एकड़ में फैले इस मंदिर परिसर की दीवारों पर संपूर्ण रामायण का सुंदर चित्रण किया गया है. कैदियों ने अपने कौशल और समर्पण से इन दृश्यों को साकार किया, जो किसी कला दीर्घा से कम नहीं लगते. मंदिर के निर्माण में सतना के स्थानीय व्यापारियों और आम नागरिकों ने भी आर्थिक सहयोग दिया, जिससे यह जन-भागीदारी का एक प्रेरक उदाहरण बन गया.

सुरक्षा और रखरखाव की जिम्मेदारी
मां वैष्णो देवी के इस अद्भुत मंदिर की सुरक्षा और रखरखाव की जिम्मेदारी केंद्रीय जेल प्रशासन के पास ही है. मंदिर के द्वार पर जेल प्रहरी पहरा देते हैं लेकिन अंदर प्रवेश करते ही श्रद्धा का ऐसा माहौल मिलता है कि भूल जाता है कि यह किसी जेल का हिस्सा है. सतना जेल का यह वैष्णो माता मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि यह इस बात का भी प्रतीक है कि अगर अवसर और दिशा मिले, तो कैदी भी समाज के निर्माण में योगदान दे सकते हैं. यहां श्रम और श्रद्धा के संगम ने यह साबित किया है कि सुधार का रास्ता हमेशा भक्ति और कर्म से होकर ही जाता है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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