अशोकनगर कलेक्ट्रेट में मंगलवार को एक विकलांग व्यक्ति जनसुनवाई के दौरान दंडवत होकर पहुंचा। उसने वन विभाग द्वारा जब्त की गई अपनी लकड़ी काटने की मशीन वापस दिलाने और पारिवारिक जमीन विवाद के समाधान की मांग की।
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दंडवत होने पर एसडीएम ने रोका, लेकिन नहीं माना
कलेक्ट्रेट में जनसुवाई के दौरान राजेंद्र ओझा नाम के व्यक्ति ने पहले तो अन्य आवेदकों के साथ बैठकर अपनी बारी का इंतजार किया। कुछ देर बाद वह गेट की ओर गए और वहां से दंडवत होते हुए जनसुनवाई कार्यालय तक पहुंचे। उनकी इस अपील को देखकर मौके पर मौजूद एसडीएम और तहसीलदार ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन ओझा अपनी मांग पर अड़े रहे।
10 साल से जब्त लकड़ी काटने की मशीन मांगी
ओझा ने कलेक्टर को बताया कि लगभग 10 साल पहले वन विभाग ने उनकी लकड़ी काटने की मशीन जब्त कर ली थी, जिसे अब तक वापस नहीं किया गया है। इस पर कलेक्टर ने तत्काल वन विभाग के अधिकारियों से मामले की जानकारी ली।
प्रशासन की ओर से जारी स्पष्टीकरण में बताया गया कि 25 मार्च 2015 को ओझा की आरा-कटर मशीन का निरीक्षण किया गया था। इसमें अवैध रूप से फर्नीचर निर्माण और मशीन का अवैध संचालन पाया गया। वन विभाग ने इस संबंध में प्रकरण दर्ज कर मशीन जब्त कर ली थी।
जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद 7 सितंबर 2015 को मशीन को राजसात करने का आदेश दिया गया था। राजेंद्र ओझा द्वारा की गई अपील को भी मुख्य वन संरक्षक ने 2016 में खारिज कर दिया था।
राजेंद्र ओझा ने भाई पर पेड़ काटने के आरोप लगाए
राजेंद्र ओझा ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि उनके भाई उनकी निजी जमीन पर पेड़ कटवा रहे हैं और भूमि पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इस संबंध में कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कलेक्टर ने इस मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है।