MP के इस इलाके में पहली बार दिखा पैंगोलिन, दिखने में खतरनाक लेकिन हरकतें क्यूट

MP के इस इलाके में पहली बार दिखा पैंगोलिन, दिखने में खतरनाक लेकिन हरकतें क्यूट


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दुर्लभ प्रजाति के पैंगोलिन को इंसानों से ही सबसे ज्यादा खतरा है क्योंकि कई लोग इसका शिकार करते हैं. इसके नाखून और मांस की तस्करी भी लोग करते हैं. ऐसे में इस प्रजाति का अस्तित्व खतरे में आ गया है.

मध्य प्रदेश के रतलाम में एक दुर्लभ प्रजाति का पैंगोलिन मिला है. देखने में खतरनाक लेकिन हरकतें काफी क्यूट हैं लेकिन इसे पहली बार देख ग्रामीण डर गए. ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. यह जीव कभी इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाता लेकिन चींटियों को अपना शिकार बनाता है, इसलिए इसे चींटीखोर भी कहते हैं.

रतलाम के एक गांव के किसान दुले सिंह के घर के पास दुर्लभ वन्य प्राणी पेंगोलिन दिखा. फिर ग्रामीणों को अजीबोगरीब आवाज भी आने लगी. इसके बाद किसान के यहां ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई. वहीं, आखिर में वन विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर वन्य प्राणी पैंगोलिन को सुरक्षा में लिया.

रतलाम के एक गांव के किसान दुले सिंह के घर के पास दुर्लभ वन्यजीव पैंगोलिन था. फिर ग्रामीणों को अजीबोगरीब आवाज भी आने लगी. इसके बाद किसान के घर पर ग्रामीणों की भीड़ लग गई. वन विभाग को सूचना दी गई. जिसके बाद विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर पैंगोलिन को रेस्क्यू किया.

पैंगोलिन एक विलुप्त होता दुर्लभ प्राणी है. यह अब बड़े मुश्किल से ही देखने को मिलता है. वन विभाग का कहना है कि भारतीय पैंगोलिन मालवा क्षेत्र में पहली बार देखने को मिला है. ऐसे में यह पैंगोलिन इस इलाके में कैसे आया किसी को नहीं पता.

पैंगोलिन एक विलुप्त होता दुर्लभ वन्यजीव है. यह अब बहुत मुश्किल से ही देखने को मिलता है. वन विभाग का कहना है कि भारतीय पैंगोलिन मालवा क्षेत्र में पहली बार देखने को मिला है. यह पैंगोलिन इस इलाके में कैसे आया, किसी को नहीं पता.

पर्यावरण प्रेमियों की मांग है कि पैंगोलिन के परिवार के अन्य सदस्यों को भी खोजा जाना चाहिए. साथ ही इसे सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करना चाहिए. अब यह जीव वन विभाग की सुरक्षा में है. अब उसके परिवार के सदस्यों की जानकारी भी जुटाई जा रही है.

पर्यावरण प्रेमियों की मांग है कि पैंगोलिन के परिवार के अन्य सदस्यों को भी खोजा जाना चाहिए. साथ ही इसे सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करना चाहिए. अब यह जीव वन विभाग की सुरक्षा में है. यह अकेला है या इलाके में और भी पैंगोलिन हैं, इसका पता लगाया जा रहा है.

विलुप्त होते वन्य प्राणी को बचाने वाले किसान दुले सिंह को 5000 रुपए का नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. वहीं, अन्य लोगों को प्रेरणा मिली की वन्य प्राणी का संरक्षण करना चाहिए.

विलुप्त होते वन्यजीव को बचाने वाले किसान दुले सिंह को 5000 रुपये का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. वहीं अन्य लोगों को प्रेरणा मिली कि वन्यजीवों का संरक्षण करना चाहिए.

दुर्लभ प्रजाति के पैंगोलिन को इंसानों से ही सबसे ज्यादा खतरा है, क्योंकि कई लोग इसका शिकार करते हैं. इसके नाखून और मांस की तस्करी भी लोग करते हैं. ऐसे में इस प्रजाति का अस्तित्व खतरे में आ गया है.

दुर्लभ प्रजाति के पैंगोलिन को इंसानों से ही सबसे ज्यादा खतरा होता है क्योंकि कई लोग इसका शिकार करते हैं. इसके नाखून और मांस की तस्करी भी लोग करते हैं. ऐसे में इस प्रजाति का अस्तित्व खतरे में आ गया है.

पैंगोलिन की खासियत यह है कि इसका शरीर कवच जैसा होता है, जो इसे शिकारियों से बचाता है. वह चीटियों और दीमक को खाता है. वह रात में सक्रिय रहता है और दिन में सोता है. पैंगोलिन आमतौर पर अकेला रहने वाला जीव है और अपने क्षेत्र की रक्षा करता है. अब जरूरत है, तो इसके संरक्षण के लिए कड़े कानूनों, आवास संरक्षण, और जागरूकता फैलाने की. ताकि इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाया जा सके .

पैंगोलिन की खासियत यह है कि इसका शरीर कवच जैसा होता है, जो इसे शिकारियों से बचाता है. यह चींटियों और दीमक को खाता है. यह रात में सक्रिय रहता है और दिन में सोता है. पैंगोलिन आमतौर पर अकेला रहने वाला जीव है और अपने क्षेत्र की रक्षा करता है. अब जरूरत है, तो इसके संरक्षण के लिए कड़े कानूनों, आवास संरक्षण और जागरूकता फैलाने की ताकि इस विलुप्त होते जीव को बचाया जा सके.

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