एमवाय की जांच कमेटी की रिपोर्ट में सामने आई लापरवाही: अस्पताल प्रबंधन ने हर स्तर पर कोताही बरती; करोड़ों लिए लेकिन 7 महीने से पेस्ट कंट्रोल नहीं कराया – Indore News

एमवाय की जांच कमेटी की रिपोर्ट में सामने आई लापरवाही:  अस्पताल प्रबंधन ने हर स्तर पर कोताही बरती; करोड़ों लिए लेकिन 7 महीने से पेस्ट कंट्रोल नहीं कराया – Indore News


इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने के बाद दो बच्चों की मौत हो गई थी।

चूहे के काटने के बाद इंदौर के एमवाय अस्पताल में दो बच्चों की मौत के मामले में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और एमवाय अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को दोषी ठहराया गया है। जांच आयुष्मान भारत के सीईओ डॉ. योगेश भरसट की अध्यक्षता वाली कमे

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दैनिक भास्कर से डॉ. योगेश भरसट ने कहा कि विभागीय स्तर पर जांच कर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। इस बारे में कमिश्नर ही पूरी जानकारी दे पाएंगे।

जांच कमेटी के सामने नर्सिंग इंचार्ज ने एक बयान दिया है, जिसे बेतुका बताया जा रहा है। नर्सिंग इंचार्ज ने अपने बयान में कहा कि इस बात का डर था कि कहीं बच्चों को तकलीफ न हो, इसलिए 7 महीने से पेस्ट कंट्रोल कराया ही नहीं गया था। हालांकि यह काम बहुत आसानी से बच्चों को एक-दो दिन के लिए किसी और वार्ड में शिफ्ट कर किया जा सकता था। रिपोर्ट में भी इस बात का स्पष्ट उल्लेख है।

अपनी रिपोर्ट में जांच कमेटी ने माना है कि अस्पताल प्रबंधन ने हर स्तर पर लापरवाही बरती है। वहीं, हाईकोर्ट इस मामले में सख्त रुख अपना है और अधीक्षक के साथ पेस्ट कंट्रोल करने वाली कंपनी से भी जवाब तलब किया है।

जांच कमेटी की रिपोर्ट में ये खुलासे एमवाय अस्पताल में साफ सफाई, पेस्ट एवं रोडेंट कंट्रोल की जिम्मेदारी डीन और अधीक्षक की है। कंपनी के काम के पर्यवेक्षण और भुगतान की जिम्मेदारी भी इन्हीं दोनों की है। डीन और अधीक्षक ने आउटसोर्स कंपनी एजाइल पेस्ट कंट्रोल को किए गए भुगतान के दस्तावेज और नोटशीट जांच समिति को उपलब्ध ही नहीं कराए। बार-बार रिमाइंडर के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने आउटसोर्स कंपनी को किए गए भुगतान की जानकारी जांच कमेटी से साझा नहीं की।

आउटसोर्स कंपनी द्वारा कागजों पर पेस्ट कंट्रोल करने के बाद भी बिना सत्यापन कंपनी को करोड़ों का भुगतान हुआ। डीन और अधीक्षक ने तथ्यों को सही समय पर सही तरीके से नहीं रखा।

इंचार्ज सिस्टर ने 7 जनवरी 2025 को NICU (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में चूहों को देखते हुए पेस्ट कंट्रोल के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद भी प्रबंधन ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया।

आउटसोर्स कंपनी के मैनेजर प्रदीप रघुवंशी के बयान से भी ये बात सामने आई कि पेस्ट कंट्रोल ठीक से नहीं किया गया था। दो बच्चों की मौत के बाद भी अस्पताल के कर्मचारियों ने कंपनी के नुमाइंदों को कई बार फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। पहली मौत के बाद एजाइल के कर्मचारी तुरंत एक्शन लेते तो दूसरी घटना को रोका जा सकता था।

घटना के बाद वरिष्ठ डॉक्टरों ने समय पर बच्चों का परीक्षण नहीं किया। रेजीडेंट डॉक्टरों ने ही उन्हें देखा। समिति ने अपनी रिपोर्ट में माना कि इस पूरी घटना के बाद प्रबंधन में अस्पताल अधीक्षक और डीन दोनों विफल रहे।

पेस्ट कंट्रोल नहीं होने की वजह सामने आई

जांच समिति के सामने प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर शिशु रोग सर्जरी विभाग प्रवीणा सिंह ने बताया कि 30 अगस्त को पहली बच्ची को चूहे द्वारा कुतरने के बाद एनाइल के कर्मचारी विवेक पाल को घटना की जानकारी दी। उन्हें बताया कि 7 महीने से वार्ड में पेस्ट कंट्रोल ही नहीं हुआ है। क्योंकि उन्हें आशंका था कि कहीं दवाई छिड़कने से वार्ड में भर्ती बच्चों को कोई नुकसान न हो और ये घटना हो गई है।

इसलिए तुरंत आकर दवाई का छिड़काव किया जाए। पाल ने वीकली ऑफ होने के चलते किसी और को भेजने की बात कही, लेकिन उसकी जगह कोई नहीं आया। नतीजतन अगली रात धार से रेफर होकर आई दूसरी बच्ची को भी चूहे ने काटा और उसकी भी मौत हो गई।

NICU में चूहों की उछल-कूद का ये वीडियो सामने आया था। वे इंक्यूबेटर में भी दिखे थे।

अस्पताल की समिति ने माना, हर मोर्चे पर हुई लापरवाही

अस्पताल की जांच समिति ने इस मामले में कई लोगों, 12 जिम्मेदारों से सवाल जवाब किए। इनके आधार पर समिति ने माना कि मामले में हर स्तर पर लापरवाही हुई है। पहली घटना के बाद भी जिम्मेदार नहीं जागे, अगर तुरंत एक्शन लिया जाता तो दूसरी घटना को टाल सकते थे। एजाइल कंपनी अब भी वहां सेवाएं दे रही हैं।

पिता की याचिका पर भी हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

वहीं, धार निवासी बच्ची के पिता देवाराम की याचिका पर भी मंगलवार को हाई कोर्ट ने सुनवाई की। हाई कोर्ट ने इस मामले में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन, स्वास्थ्य विभाग और आदिवासी कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, एमवाय अस्पताल के अधीक्षक और पेस्ट कंट्रोल करने वाली कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट ने एमवाय डीन और अधीक्षक को नोटिस जारी किया

मामले में हाईकोर्ट ने मंगलवार को डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया, एमवाय अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को नोटिस इन जारी कर जवाब मांगा है। एचएलएल ले ईमा टेक सर्विस (नोएडा), प्रमुख सचिव, लोक स्वास्थ्य व जनजाति कार्य विभाग से 6 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका बेबी ऑफ मंजू नामक चार दिन की बच्ची की मौत को लेकर है। उसके पिता देवराम की याचिका पर न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा की एकलपीठ ने सुनवाई की। देवराम ने न्यायिक जांच कराने, दोषियों पर कार्रवाई व परिजन को 50 लाख मुआवजा दिलाने की अपील की है।

इंचार्ज सिस्टर ने जनवरी में ही पत्र लिखा था NICU की इंचार्ज सिस्टर कलावती भलावे ने जांच कमेटी को बताया कि 7 जनवरी को चूहों की समस्या के लिए पत्र लिखा गया था, इसके बावजूद किसी ने ध्यान नहीं दिया। इतनी लापरवाही के बाद भी कंपनी को भुगतान किया जाता रहा। बेबी ऑफ रेहाना को वेंटिलेटर पर रखने और वापस हटाने के बाद दोबारा रखने जैसे रिकॉर्ड भी जांच समिति के सामने पेश नहीं किए गए।

तस्वीर नवजात के शव की है, जिसमें दिख रहे हाथ की चार उंगलियों को चूहों ने खा लिया था।

तस्वीर नवजात के शव की है, जिसमें दिख रहे हाथ की चार उंगलियों को चूहों ने खा लिया था।

जांच समिति में ये विशेषज्ञ शामिल थे

  • डॉ. योगेश भरसट (आईएएस, सीईओ, आयुष्मान भारत)
  • डॉ. वैभव जैन (डिप्टी डायरेक्टर, चिकित्सा शिक्षा)
  • डॉ. धीरेंद्र श्रीवास्तव (एचओडी, पीडियाट्रिक सर्जरी, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल)
  • डॉ. राजेश टिक्कस (प्रोफेसर, पीडियाट्रिक्स, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल)

घनघोरिया ने फरवरी में संभाला था डीन का पद 30 सितंबर को चूहे द्वारा नवजात को कुतरने की पहली घटना हुई थी, तब दीपक सिंह इंदौर के कमिश्नर थे। जांच के दौरान प्रशासनिक फेरबदल में उनका तबादला हो गया। 11 सितंबर को डॉ. सुदाम खाड़े ने इंदौर कमिश्नर का पदभार संभाला।

डॉ. अरविंद घनघोरिया ने 21 फरवरी 2025 को एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के डीन का पद संभाला। इसके पूर्व वे नीमच में पदस्थ थे।

डॉ. अशोक यादव फरवरी 2025 में एमवाय अस्पताल के सुपरिटेंडेंट बनाए गए थे। इसके पूर्व ‌‌‌‌वे एमवाय अस्पताल में ही एचओडी (ट्रांसफ्यूजन मेडिसन) थे।

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