Agriculture Tips: अक्टूबर का महीना किसानों के लिए बेहद खास होता है, खासकर उन किसानों के लिए जो आलू की खेती करते हैं. इस समय पूरे देश के कई इलाकों में किसान खेतों की जुताई, तैयारी और बीज बुवाई में जुटे रहते हैं. मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के किसान भागीरथ पटेल बताते हैं कि अक्टूबर का दूसरा और तीसरा सप्ताह आलू की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है. अगर किसान 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच बुवाई करते हैं, तो उन्हें फसल की बेहतरीन गुणवत्ता के साथ-साथ उत्पादन भी अधिक मिलता है.
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आलू की फसल में खरपतवार की समस्या को अगर शुरुआत में ही नियंत्रित कर लिया जाए, तो आगे चलकर किसानों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती. एक्सपर्ट्स की मानें तो बुवाई के समय ही 500 मिलीलीटर एक विशेष दवा का छिड़काव करना बेहद फायदेमंद होता है. इससे खरपतवार की वृद्धि रुक जाती है और आलू की फसल को शुरुआती दिनों से ही पर्याप्त पोषण और जगह मिलती है.
कौन सी दवा डालें और कब करें छिड़काव?
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि खेत की तैयारी के दौरान जब आलू की बुवाई की जा रही हो, तभी प्री-इमर्जेंस हर्बिसाइड (Pre-Emergence Herbicide) का उपयोग करना सबसे प्रभावी तरीका है. इस दवा का उपयोग मिट्टी में बुवाई के तुरंत बाद या अधिकतम 2 दिन के भीतर किया जाता है.
आमतौर पर पेंडिमेथालिन 30% EC (Pendimethalin) नामक दवा सबसे अधिक कारगर मानी जाती है. इसे 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ की मात्रा में पानी के साथ मिलाकर छिड़काव किया जाता है. इससे मिट्टी में मौजूद खरपतवार के बीज अंकुरित नहीं हो पाते और फसल की जड़ें तेजी से विकसित होती हैं. यह दवा आलू की फसल को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि खरपतवार के प्रभाव को 25–30 दिनों तक रोकती है. इससे किसान को आगे चलकर दोबारा निराई-गुड़ाई करने में कम मेहनत लगती है और मजदूरी का खर्च भी घट जाता है.
खरपतवार नियंत्रण से होगा डबल फायदा
कृषि विभाग के अनुसार, जो किसान खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान देते हैं, उनकी फसल में उत्पादन औसतन 15–20% अधिक होता है. क्योंकि खरपतवार मिट्टी के पोषक तत्वों का सबसे बड़ा दुश्मन है. अगर शुरुआत में ही उसे खत्म कर दिया जाए, तो आलू की जड़ों को अधिक पोषण मिलता है और कंद आकार में बड़े व स्वस्थ बनते हैं.
खंडवा के कई प्रगतिशील किसानों ने पिछले साल यह तरीका अपनाया था. किसान अमरचंद पटेल बताते हैं कि उन्होंने बुवाई के समय ही खरपतवार नियंत्रण के लिए Pendimethalin का प्रयोग किया था. परिणामस्वरूप फसल अधिक हरीभरी रही, कंदों का आकार बड़ा हुआ और उत्पादन में लगभग 18% की बढ़ोतरी हुई.
किसानों के लिए विशेषज्ञ की सलाह
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि—
1. खेत की जुताई गहरी करें, ताकि पुराने खरपतवार की जड़ें खत्म हो जाएं.
2. बुवाई के तुरंत बाद हर्बिसाइड का छिड़काव करें.
3. दवा के साथ समान मात्रा में पानी मिलाएं और स्प्रे करते समय खेत में नमी बनाए रखें.
4. फसल उगने के 25–30 दिन बाद हल्की निराई-गुड़ाई करें, ताकि नई खरपतवार अंकुरित न हो सके.
इन साधारण उपायों से किसान न केवल मेहनत और खर्च बचा सकते हैं, बल्कि फसल का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार कर सकते हैं.
नतीजा-मुनाफा दोगुना
जब फसल स्वस्थ होती है, तो उसकी बाजार में कीमत भी अधिक मिलती है. अच्छी गुणवत्ता वाले आलू को व्यापारी और प्रोसेसिंग यूनिट्स ऊंचे दामों पर खरीदते हैं. किसानों के अनुसार, खरपतवार नियंत्रण पर किया गया 500 रुपये का खर्च बाद में हजारों रुपये का मुनाफा दिलाता है.इसलिए कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि “खरपतवार को शुरू में ही ‘ना’ कहिए, फसल खुद ‘हां’ कहेगी मुनाफे के लिए.”
अंत में याद रखें
आलू की खेती में सफलता सिर्फ बीज और खाद पर नहीं, बल्कि सही समय पर किए गए छोटे-छोटे उपायों पर भी निर्भर करती है. अगर बुवाई के समय किसान 500 एमएल सही दवा का छिड़काव करें, तो खरपतवार की समस्या खत्म हो जाएगी और मुनाफा कई गुना बढ़ जाएगा. यही असली राज है अच्छी खेती और बेहतर आमदनी का.