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Ujjain News: वन विभाग के वन रक्षक संजय तिवारी ने कहा कि यह रेड सैंड बोआ सांप है. यह शांत स्वभाव का होता है और किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है. उन्होंने भी सुना है कि लोग इसका दवाई बनाने और तंत्र क्रिया के लिए दुरुपयोग करते हैं. जब भी उन्हें मिलता है, तो वह उसे जंगल में सुरक्षित छोड़ देते हैं.
उज्जैन. मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के कण-कण में शिव का वास है. शिव के ही रूप में कई जगह नागदेवता के पूजन का भी विधान है. खास बात यह है कि बुधवार को बड़नगर कृषि उपज मंडी में एक दुर्लभ प्रजापति का सांप देखने को मिला, जिसको देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ लग गई. वन विभाग को सूचना दी गई. मौके पर पहुंच अधिकारियों ने पुष्टि की कि यह विलुप्त प्रजाति का रेड सैंड बोआ सांप है, जिसकी कीमत अंर्तराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों में होती है. यह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है. सांप को सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ दिया गया.
लोग कहते हैं कि इस अनोखे सांप के दो मुंह होते हैं लेकिन हकीकत यह नहीं है. सैंड बोआ सांप की पूंछ इसके मुंह की तरह दिखती है, जिस वजह से ऐसा लगता है कि इस सांप के दो मुंह हैं. यही वजह है कि इसे दोमुंहा सांप कहा जाता है. बड़नगर कृषि उपज मंडी में जब सैंड बोआ दिखाई दिया, तो इलाके में हड़कंप मच गया. मौके पर उदय कैथवास नामक युवक ने सांप को पकड़ लिया. उसने सांप को एक बोरे में भरकर सुरक्षित स्थान पर रख दिया. सांप को तस्करों से बचाने के लिए अनाज व्यापारी ने वन विभाग के एक कर्मचारी को इसके बारे में बताया.
किसी को नहीं पहुंचाता नुकसान
वन विभाग को मिली खबर के बाद टीम ने सांप का रेस्क्यू कर उसे अपने कब्जे में ले लिया. विभाग के वन रक्षक संजय तिवारी ने बताया कि यह रेड सैंड बोआ सांप है. यह किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता है. हमने भी सुना है कि लोग इसका दवाई बनाने और तंत्र क्रिया के लिए दुरुपयोग करते हैं. हमें मिलता है, तो हम उसे जंगल में सुरक्षित छोड़ देते हैं.
अंर्तराष्ट्रीय बाजार में डिमांड
दुनिया में दोमुंहा सांप रेड सैंड बोआ को बेहद दुर्लभ वन्य जीव माना जाता है. भारत के वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत इन सांपों को दुर्लभ करार दिया गया है. कई लोग इनका इस्तेमाल तांत्रिक क्रियाओं के लिए करते हैं. भारत में पाए जाने वाले इस सांप की अंर्तराष्ट्रीय कीमत करोड़ों में आंकी जाती है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.