मेरी महंगी खड़ी, डिलीवरी ब्‍वॉय दोस्‍त, वरुण ने बताया दिल छू लेने वाला किस्‍सा

मेरी महंगी खड़ी, डिलीवरी ब्‍वॉय दोस्‍त, वरुण ने बताया दिल छू लेने वाला किस्‍सा


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varun chakravarthy: वरुण चक्रवर्ती बेहद मिडिल-क्‍लास परिवार से आते हैं. भारत के इस मिस्‍ट्री स्पिनर के बचपन के दोस्‍त आज भी डिलीवरी ब्‍वॉय का काम करते हैं. वरुण ने अपने बचपन के एक किस्‍से के बारे में बताया. वो ऐसा करना अपराध मानते हैं.

वरुण चक्रवर्ती ने याद किया पुराना किस्‍सा.

नई दिल्‍ली. टीम इंडिया के स्पिनर वरुण चक्रवर्ती को क्रिकेट जगत में मिस्‍ट्री स्पिनर के तौर पर भी जाना जाता है. वरुण की फिरकी के जाल में बड़े-बड़े बैटर आसानी से फंस जाते हैं. हालांकि एक वक्‍त ऐसा भी था जब वरुण खुद गरीबी और आर्थिक तंगी के जाल में फंसे हुए थे. वो एक मिडिल-क्‍लास फैमिली से आते हैं. वरुण ने उस दौर को याद किया जब उन्‍हें पैसा के लिए संघर्ष करना पड़ता था. अब वो महंगी घड़ी पहन सकते हैं. वरुण के कुछ दोस्‍त अभी भी ऐसे हैं जो डिलीवरी ब्‍वॉय का काम करते हैं. वरुण अभी भी अपने बचपन के दोस्‍तों से खूब मिलते जुलते हैं.

‘मेरे लिए निवेश का मतलब FD था’
यूट्यूब शो ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस में वरुण चक्रवर्ती ने कहा, “मेरा पैसों को लेकर अलग ही संघर्ष था. मुझे निवेश को लेकर केवल फिक्स्ड डिपॉजिट के बारे में ही पता था. मेरा माइंडसेट टिपिकल मिडिल-क्‍लास वाला था. मैं जानता हूं कि पैसा कितना पावरफुल होता है. अगर कोई चीज बहुत पावरफुल है तो आपको उसका पूरा इस्तेमाल करना होगा. मुझे लगता है कि पैसों से सिर्फ़ अपनी जीवनशैली बदलने के बजाय, आप किसी और की ज़िंदगी बदल सकते हैं.

‘मुझे अपराधबोध होता है’
वरुण चक्रवर्ती ने एक महंगी घड़ी खरीदने का किस्से के बारे में बताया. उन्‍होंने कहा, “अगर मैं इतना खर्च करता हूं तो मुझे यह अपराधबोध होता है. अगर मेरे पास 30 लाख या 40 लाख रुपये की घड़ी है, तो वह रकम वास्तव में दो या तीन पीढ़ियों के लिए किसी की जिंदगी बदल सकती है. मैंने एक घड़ी खरीदी थी, जिसकी कीमत लगभग तीन लाख रुपये या कुछ ऐसी ही थी.

‘महंगी घड़ी पहनकर दोस्‍त से मिलने जाऊं…’
वरुण चक्रवर्ती बताते हैं कि इस घड़ी वाली घटना ने मुझे अंदर से मार डाला. मुझे पता है कि कुछ लोग ज्‍यादा महंगी चीजें खरीदते हैं. देखिए, जिन लोगों के साथ मैं बड़ा हुआ हूं, उनमें से कुछ अभी भी खाना डिलीवरी का काम कर रहे हैं. मैं सोच भी नहीं सकता कि मैं ऐसा कुछ पहनकर उनसे मिलने जाऊं. मुझे लगता है कि मैं उनका अनादर कर रहा हूं. यह मेरी अपनी बात है. मैं किसी और को जज नहीं कर रहा.”

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें

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