जबलपुर. महाकौशल आंचल की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी रानी दुर्गा यूनिवर्सिटी अब दम तोड़ते हुई दिखाई दे रही है. जहां स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम हो चुकी है और टीचिंग स्टाफ लगभग न के बराबर हो चुका है. हैरान करने वाली बात यह है कि जिस यूनिवर्सिटी में कभी 2 लाख से अधिक स्टूडेंट हुआ करते थे, आज महज 40 से 45 हजार स्टूडेंट्स ही हैं.
पढ़ाई के नाम पर फिसड्डी साबित हो रही यूनिवर्सिटी!
लॉ स्टूडेंट और रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी एनएसयूआई प्रभारी अचलनाथ ने बताया पढ़ाई के नाम पर यूनिवर्सिटी फिसड्डी साबित हो रही है. जहां अब स्टूडेंट महज डिग्री लेने के लिए ही एडमिशन लेते हैं, स्थिति यह है कि अधिकांश स्टूडेंट को कुलपति का नाम ही नहीं पता होता है. यूनिवर्सिटी के किस्से भी कुछ अलग है. जहां कभी यूनिवर्सिटी पेपर लेना भूल जाती है तो कभी रिजल्ट सालों तक नहीं आते. ऐसे में अब स्टूडेंट यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने से भी कतराते हैं.
मूलभूत सुविधा भी नहीं, कर्मचारी भी यूनिवर्सिटी से नाखुश
स्टूडेंट का कहना है यूनिवर्सिटी में दर्जनों डिपार्टमेंट हैं, लेकिन मूलभूत सुविधा तक नहीं है. कई डिपार्टमेंट ऐसे हैं, जिसमें टॉयलेट है, लेकिन पानी नहीं है. बिल्डिंग है लेकिन टीचर नहीं है. तब यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कैसे होगी? इतना ही नहीं जब लोकल 18 की टीम कुछ डिपार्टमेंट के क्लास में पहुंची, तब कुछ डिपार्टमेंट में ताला लगा हुआ था. कुछ डिपार्टमेंट में बच्चों के साथ ही प्रोफेसर भी नदारद मिले. जबकि वॉशरूम थे लेकिन पानी नहीं आ रहा था.
गेस्ट फैकल्टी के भरोसे चल रहा यूनिवर्सिटी!
रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी में रेगुलर महज 15 प्रोफेसर ही बचे हुए हैं जबकि सारे स्टूडेंट अब गेस्ट फैकल्टी के भरोसे चल रहे हैं. यूनिवर्सिटी में गेस्ट फैकल्टी की भी संख्या कम है, जहां वर्तमान में करीब 100 गेस्ट फैकल्टी हैं. जिनसे पढ़ाई करवाई जा रही है. यूनिवर्सिटी के दो से तीन विभागों का दारोमदार एक रेगुलर प्रोफेसर पर है. दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी संकट में है ही लेकिन कर्मचारी इस यूनिवर्सिटी के हड़ताल पर बैठे जरूर मिलते हैं. जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ता है.
जर्जर हालात में लाइब्रेरी, छात्र संघ का पैसा कहां जा रहा?
अचलनाथ का कहना है छात्र संघ चुनाव के नाम पर ₹120 फीस के तौर पर लिए जाते हैं, सन 2017 से चुनाव हुए ही नहीं. ऐसे में करीब 8 साल से हजारों बच्चे छात्र संघ चुनाव के नाम पर पैसे दे रहे हैं. तब करोड़ों रुपए आखिर कहां गए, यूनिवर्सिटी यह बताता ही नहीं है. लाइब्रेरी से लेकर यूनिवर्सिटी परिसर की हालत बद्तर हो चुकी है. स्टूडेंट को एक एग्जाम के दो पेपर दे दिए जाते हैं. यूनिवर्सिटी में छात्रों को भविष्य अंधकार में चला गया है.